238 ऋषि प्रसादः अक्तूबर 2012

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

कलितारणहारा भगवन्नाम


इस कलिकाल में भवसागर से पार होने के लिए भगवन्नाम एक मजबूत नौका है, जिसकी सहायता से मनुष्य भवसागर से सरलता से पार हो सकता है। भगवन्नाम-महिमा का वर्णन करते हुए महर्षि वेदव्यासजी अपने शिष्यों को कहते हैं- कलिर्धन्यः ʹअर्थात् कलियुग धन्य है !ʹ व्यासजी के वचन सुनकर शिष्यों ने जिज्ञासापूर्वक प्रश्न किया कि “गुरुजी …

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जीने की कला


(पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रसाद से) (अशांति क्यों नहीं जाती ?) आज भौतिक साधन बहुत हैं पर घर-घर में अशांति है। आवागमन के लिए रेलगाड़ियाँ बढ़ी हैं, हवाई जहाज बढ़े हैं, बातचीत के लिए तार, टेलिफोन और वायरलेस बढ़े हैं, मनोरंजन के लिए रेडियो और सिनेमा साधन बढ़े हैं पर मनुष्य के मन की अशांति …

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ईश्वर दर्शन से भी ऊँचा होता है आत्मसाक्षात्कार


आत्मज्ञानात् परं ज्ञानं न विद्यते आत्मलाभात् परं लाभं न विद्यते। आत्मसुखात् परं सुखं न विद्यते पूज्य बापू जी का 48 वाँ आत्मसाक्षात्कार दिवस 17 अक्तूबर 2012 पूज्य बापू जी का सत्संग प्रसाद आत्मसाक्षात्कार किसको बोलते हैं ? यह जरा समझ लेना। एक होता है कि मनुष्य ने संसार में किसी चीज की उपलब्धि की – …

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