लाबयान है ब्रह्मवेत्ताओं की महिमा – पूज्य बापू जी
सदगुरु मेरा सूरमा, करे शब्द की चोट। मारे गोला प्रेम का, हरे भरम की कोट।। सदगुरु की करूणा तो करूणा है ही, उनकी डाँट भी उनकी करूणा ही है। गुरु कब, कहाँ और कैसे तुम्हारे अहं का विच्छेद कर दें, यह कहना मुश्किल है। श्रद्धा ही गुरु एवं शिष्य के पावन संबंध को बचाकर रखती …