246 ऋषि प्रसादः जून 2013

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

छिपा परमेश्वर


गुरु सत्य है। गुरु पूर्ण हैं। गुरु की महिमा रहस्यमय और अति दिव्य है। वे मानव को नया जन्म देते हैं। उनके बारे  में कहा गया हैः मनुष्यदेहमास्थाय छन्नास्ते परमेश्वरः। ʹखुद परमेश्वर ही गुरुरूप मनुष्य देह धारण करके छिपकर रहता है।ʹ गुरु की यह व्याख्या है – ʹजो शक्तिपात द्वारा अंतर्शक्ति को जगाते हैं, मनुष्य …

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चिदानंदमय देह तुम्हारी… – पूज्य बापू जी


एक भोला-भाला आदमी संत-महापुरुष के पास जाकर बोलाः “मुझे गुरु बना दो।” गुरुजीः “बेटा ! पहले शिष्य तो बन !” “शिष्य-विष्य नहीं बनना, मुझे गुरु बनाओ। तुम जो भी कहोगे, वह सब करूँगा।” गुरुजी ने देखा कि यह आज्ञा पालने की तो बात करता है। बोलेः “बेटा ! मैं तेरे को कैसा लगता हूँ ?” …

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गुरु कौन ?


संतान दो तरह की होती है – एक बिन्दु संतान और दूसरी नाद संतान। पिता से जो पुत्र की उत्पत्ति होती है, उसको बिंदु संतान बोलते हैं, वे बिंदु से उत्पन्न होते हैं। और गुरु से जो शिष्य की उत्पत्ति होती है, उसको नाद संतान बोलते हैं, वे नाद पुत्र हैं। जब गुरु अपने शिष्य …

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