वह अधीनता जिससे परम स्वाधीनता – पूज्य बापू जी
पंचभौतिक शरीर माया का है, मन, बुद्धि, अहंकार भी माया है, यह अष्टधा प्रकृति है। भगवान बोलते हैं कि ʹयह अष्टधा प्रकृति मैं नहीं हूँ, तो तुम भी यह नहीं हो।ʹ भगवान के वचन मान लो। भूमिरापोઽनलो वायुः खं मनो बुद्धिरेव च। अहंकार इतीयं मे भिन्ना प्रकृतिरष्टधा।। गीताः 7.4 ये प्रकृति, पंचभौतिक शरीर, मन, बुद्धि, …