289 जनवरी 2017 ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ऐसे लोगों का शरीर साक्षात नरक है


दुर्जनाची गंधी विष्ठेचिये परी।…. अंग कुंभीपाक दुर्जनांचे।। ‘दुर्जनों के शरीर से विष्ठा की तरह (दुर्गुणरुपी) दुर्गंध आती है इसलिए सज्जन उसे देखते ही उससे दूर रहें। सज्जनों ! दुर्जनों से संगठन न करो, उनसे बात भी न करो। दुर्जनों का शरीर अखंड अपवित्रता से भरा रहता है, जिस प्रकार रजस्वला स्त्री के शरीर से निरंतर …

Read More ..

कपिला गौओं की उत्पत्ति


महाभारत में पितामह भीष्म से धर्मराज युधिष्ठिर पूछते हैं- “पितामह ! सत्पुरुषों ने कपिला गौ की ही अधिक प्रशंसा क्यों की है ? मैं कपिला के महान प्रभाव को सुनना चाहता हूँ।” भीष्म जी ने कहाः “बेटा ! मैंने बड़े बूढ़ों के मुँह से रोहिणी (कपिला) की उत्पत्ति का जो प्राचीन वृत्तान्त सुना है, वह …

Read More ..