ऐसे लोगों का शरीर साक्षात नरक है
दुर्जनाची गंधी विष्ठेचिये परी।…. अंग कुंभीपाक दुर्जनांचे।। ‘दुर्जनों के शरीर से विष्ठा की तरह (दुर्गुणरुपी) दुर्गंध आती है इसलिए सज्जन उसे देखते ही उससे दूर रहें। सज्जनों ! दुर्जनों से संगठन न करो, उनसे बात भी न करो। दुर्जनों का शरीर अखंड अपवित्रता से भरा रहता है, जिस प्रकार रजस्वला स्त्री के शरीर से निरंतर …