कीमत…. सिकंदर के साम्राज्य और मनुष्य-जीवन की
एक बार सिकंदर की मुलाकात आत्मसात संत से हो गयी। धन-वैभव के नशे से मतवाले बने सिकंदर के हावभाव देखकर उन्होंने कहाः ‘सिकंदर ! तुमने जो इतना बड़ा साम्राज्य खड़ा कर लिया है वह मेरी दृष्टि में कुछ भी नहीं है। मैं उसे दो कौड़ी का समझता हूँ।” सिकंदर उन ज्ञानी महापुरुष की बात सुनकर …