295 ऋषि प्रसादः जुलाई 2017

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

देशी गाय बढ़ाती हैं धनात्मक ऊर्जा


हर मनुष्य, जीव-जंतु, पशु, पेड़-पौधा या वस्तु के चारों ओर सप्तरंगीय ऊर्जा तरंगें निष्कासित होती रहती हैं व एक अति सूक्ष्म गोलीय चक्र-सा प्रतिबिम्ब रहता है, जिसको ‘आभामण्डल (ओरा)’ कहते हैं। देवी-देवताओं तथा संत-महापुरुषों के श्रीचित्रों में उनके सिर के पीछे दिखने वाला चमकीला, रंगीन गोल घेरा उनके आभामंडल का ही प्रतीक है। साधारण मनुष्यों …

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जगत की उत्पत्ति किससे व कैसे ?


काल का प्रारम्भ कहाँ से होता है ? इसी सेकंड से। वर्तमान सेकंड का आदि और अंत ही काल का आदि अंत है। जिस मुझमें यह वर्तमान सेकंड भास रहा है, वही ‘मैं’ काल के आदि और अंत का अधिष्ठान हूँ। काल का अनादित्व और अनंतत्व मैं ही हूँ। यह फूल (वस्तु) है। यह कहाँ …

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कौन होते हैं संसार बंधन से मुक्त ?


महाभारत (आश्वमेधिक पर्व, 19वाँ अध्याय में आता हैः यः स्यादेकायने लीनस्तूष्णीं किंचिदचिन्तयन्। पूर्वं पूर्वं परित्यज्य स तीर्णो बन्धनाद् भवेत्।। ‘जो मनुष्य (स्थूल, सूक्ष्म और कारण शरीरों में से क्रमशः) पूर्व-पूर्व का अभिमान त्यागकर कुछ भी चिंतन नहीं करता और मौनभाव से रहकर सबके एकमात्र अधिष्ठान परब्रह्म-परमात्मा में लीन रहता है, वही संसार-बंधन से मुक्त होता …

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