सूक्ष्म बुद्धि, गुरुनिष्ठा व प्रबल पुरुषार्थ का संगमः छत्रसाल
मुख पर ब्रह्मचर्य का तेज, अंग-अंग में संस्कृति रक्षा के लिए उत्साह, हृदय में निःस्वार्थ सेवाभाव – कुछ ऐसे गुण झलकते थे युवा वीर छत्रसाल के जीवन में। उस समय भारतभूमि व सनातन संस्कृति पर मुगलों का अत्याचार बहुत बढ़ गया था। अपनी संस्कृति की रक्षा करने हेतु छत्रसाल ने वीर युवकों का एक दल …