….और यह जीव मुक्त हो जाता है – पूज्य बापू जी
तुम्हारे जो प्राण चल रहे हैं उनको अगर तुमने साध लिया, प्राण-अपान की गति को सम करने की कला सीख ली तो तुम्हारे लिए स्वर्गीय सुख पाना, आत्मिक आनंद पाना, संसार में निर्दुःख जीना आसान हो जायेगा । वाहवाही होने पर भी निरहंकारी रहना आसान हो जायेगा । निंदा होने पर भी निर्दुःख रहना, स्तुति …