316 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2019

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

भगवान किनसे पाते हैं अपने घर की समस्या का हल ?


एक बार भगवान श्रीकृष्ण ने देवर्षि नारदजी से कहाः “देवर्षे ! मनुष्य किसी व्यक्ति में बुद्धि-बल की पूर्णता देखकर ही उससे कुछ पूछता या जिज्ञासा प्रकट करता है । मैं आपके सौहार्द पर भरोसा रखकर आपसे कुछ निवेदन करता हूँ । मैं अपनी प्रभुता दिखा के कुटुम्बीजनों को अपना दास बनाना नहीं चाहता । मुझे …

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‘मुझमें अहंकार नहीं’ यह जानना ही अहंकार है


महर्षि पराशर मैत्रेय को कहते हैं- “हे मैत्रेय ! सर्व अनर्थों को देने वाला जो देह आदि का अहंकार है, उसको जब तू जलायेगा (बाधित अर्थात् मिथात्व निश्चय करेगा) तब शेष जो पद रहेगा उसमें मन-वाणी का मार्ग नहीं, जो मैं वर्णन करूँ और तू सुने । परंतु देह को जलाने से सुख होता नहीं …

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पहले खुद को पहचानो


एक बार श्री रमण महर्षि जी के एक शिष्य ने उनसे पूछाः “भगवन् ! मैं किताबें पढ़ना चाहता हूँ ताकि मुक्ति का मार्गदर्शन मिल सके, पर मैं पढ़ना नहीं जानता हूँ, मैं क्या करूँ ? मुझे मुक्ति कैसे मिल सकती है ?” महर्षि जी ने कहाः “तुम अनपढ़ हो इससे क्या फर्क पड़ता है ? …

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