बिना किसी शर्त के ईश्वर का दर्शन !
– स्वामी अखंडानंद जी सरस्वती जिसमें वैराग्य नहीं है वह अपने शरीर को सुरक्षित रखकर ईश्वर को देखना चाहता है । एक बाबू जी कहते थेः “मैं ईश्वर को तब मानूँगा जब वह मेरे सामने सम्पूर्ण सृष्टि का प्रलय करके फिर से सृष्टि बनाये ।” एक साधु ने पूछाः “ईश्वर प्रलय करेगा इसे आप कैसे …