ब्रह्मनिष्ठ महापुरुषों की सिद्धान्त-निष्ठा – पूज्य बापू जी
रावण के समकालीन एक बड़े उच्च कोटि के सम्राट – चक्ववेण हो गये । वे राज्य का मंगल चाहते थे । राज्य तो छोटा-सा था लेकिन प्रभाव इतना था कि उनकी सराहना स्वर्ग में भी होती थी । ऋषि मुनि, साधु-संत बोलते थे कि ‘हम तो साधुवेश में साधु हैं किंतु चक्ववेण राजा-वेश में साधुओं …