वासना-प्रधान नहीं विवेक-प्रधान व्यवहार हो – पूज्य बापू जी
पति पत्नी को बोलता है कि ‘भोग-वासना में सहयोग देना तेरा कर्तव्य है ।’ और पत्नी समझती है कि ‘तुम हमारी वासना के पुतले बने रहो यह तुम्हारा कर्तव्य है ।’ नहीं-नहीं, ये दोनों एक दूसरे को खड्डे में गिराते हैं । पति सोचे कि ‘पत्नी के चित्त, शरीर और मन में आरोग्यता आये, ऐसा …