349 ऋषि प्रसादः जनवरी 2022

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

वासना-प्रधान नहीं विवेक-प्रधान व्यवहार हो – पूज्य बापू जी


पति पत्नी को बोलता है कि ‘भोग-वासना में सहयोग देना तेरा कर्तव्य है ।’ और पत्नी समझती है कि ‘तुम हमारी वासना के पुतले बने रहो यह तुम्हारा कर्तव्य है ।’ नहीं-नहीं, ये दोनों एक दूसरे को खड्डे में गिराते हैं । पति सोचे कि ‘पत्नी के चित्त, शरीर और मन में आरोग्यता आये, ऐसा …

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बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ? – पूज्य बापू जी


बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो खास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि शोकेन नश्यति । भूतकाल की बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नहीं हुआ…’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न, उनकी बुद्धि का नाश होता है और …

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‘मीठा-मीठा गप्प, कड़वा-कड़वा थू’


एक सेठ के बगीचे में गाय घुस आयी । सेठ ने दौड़कर डंडा मारदिया । डंडा मर्मस्थल पर लगा गया । गाय मर गयी ।गोहत्या आयी तो सेठ ने कहाः “मैंने गाय नहीं मारी, डंडे ने मारीहै । उसे लगो ।”गोहत्या डंडे के पास गयी तो वह बोलाः “मुझे तो हाथ ने चलाया है।”हाथ की …

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