ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

ईश्वरीय अंश विकसित कर यहीं ईश्वरतुल्य हो जाओ – पूज्य बापू जी


मनुष्य इन तीन तत्त्वों का मिश्रण हैः पाशवीय तत्त्व, मानवीय तत्त्व और ईश्वरीय तत्त्व । पाशवीय तत्त्व अर्थात् पशु जैसा आचरण । चाहे जैसा खाना-पीना, माता-पिता की हितकारी बात को ठुकरा देना, सामाजिक नीति-नियमों को ठुकरा देना, जैसे ढोर चलता है ऐसे ही मन के अनुसार चलना – ये पाशवीय तत्त्व हैं । मानवीय तत्त्व …

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स्वस्थ जीवन व ध्यान-भजन में उन्नति हेतु


एक व्यक्ति एक संत के पास आया और बोलाः ″महाराज ! मैं भगवान का भजन ठीक से नहीं कर पाता ।″ संत ने कहाः ″पेट पर ध्यान दो ।″ फिर दूसरा व्यक्ति आया और बोलाः ″मेरा अपने मन पर काबू नहीं है ।″ संत बोलेः ″पेट पर ध्यान दो ।″ तीसरा व्यक्ति आया और बोलाः …

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सूर्यदेव ने कार्तिकजी का पूजन रोककर पहले किनको पूजा ? – पूज्य बापू जी


एक बार भगवान शिवजी के बेटे कार्तिक स्वामी भगवान सूर्यदेव से मिलने गये । जब वे पहुँचे तो सूर्यदेव ने देखा कि ये तो शिवजी के बेटे आ रहे हैं तो पूजा की थाली लाये । ज्यों वे पूजा करने जाते हैं इतने में उन्होंने देखा कि कोई विमान जा रहा है । विमान में …

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