ऋषि प्रसाद

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बल ही जीवन है – पूज्य बापू जी


बल ही जीवन है, दुर्बलता मौत है । जो नकारात्मक विचार करनेवाले हैं वे दुर्बल हैं, जो विषय-विकारों के विचार में उलझता है वह दुर्बलहोता है लेकिन जो निर्विकार नारायण का चिंतन, ध्यान करता है औरअंतरात्मा का माधुर्य पाता है उसका मनोबल, बुद्धिबल और आत्मज्ञानबढ़ता है ।

वासना-प्रधान नहीं विवेक-प्रधान व्यवहार हो – पूज्य बापू जी


पति पत्नी को बोलता है कि ‘भोग-वासना में सहयोग देना तेरा कर्तव्य है ।’ और पत्नी समझती है कि ‘तुम हमारी वासना के पुतले बने रहो यह तुम्हारा कर्तव्य है ।’ नहीं-नहीं, ये दोनों एक दूसरे को खड्डे में गिराते हैं । पति सोचे कि ‘पत्नी के चित्त, शरीर और मन में आरोग्यता आये, ऐसा …

Read More ..

बुद्धि का विकास और नाश कैसे होता है ? – पूज्य बापू जी


बुद्धि का नाश कैसे होता है और विकास कैसे होता है ? विद्यार्थियों को तो खास समझना चाहिए न ! बुद्धि नष्ट कैसे होती है ? बुद्धि शोकेन नश्यति । भूतकाल की बातें याद करके ‘ऐसा नहीं हुआ, वैसा नहीं हुआ…’ ऐसा करके जो चिंता करते हैं न, उनकी बुद्धि का नाश होता है और …

Read More ..