Tag Archives: Sant Charitra

Sant Charitra

वैज्ञानिकों के लिए आश्चर्य बनी पूज्य बापू जी की आभा


विश्वप्रसिद्ध आभा विशेषज्ञ (aura specialist) डॉ. हीरा तापड़िया ने किलिर्यन फोटोग्राफी से पूज्य बापू जी का आभा-चित्र खींचा तो वे भी आश्चर्यचकित हो गये । उन्होंने अपना अनुभव व्यक्त करते हुए बताया कि ″मैंने अब तक लगभग सात लाख से भी ज्यादा लोगों के आभा-चित्र लिये हैं, जिनमें एक हजार प्रसिद्ध व प्रभावशाली व्यक्ति शामिल हैं, जैसे बड़े संत, साध्वियाँ, प्रमुख व्यक्ति आदि । आज तक जितने भी लोगों की आभाएँ मैंने ली हैं, उनमें सबसे अधिक प्रभावशाली एवं उन्नत आभा संत श्री आशाराम  जी बापू की पायी । बापू की आभा में बैंगनी रंग है, जो यह दर्शाता है कि बापू जी आध्यात्मिकता के शिरोमणि हैं । यह सिद्ध ऋषि-मुनियों में ही पाया जाता है ।

बापू की आभा में यह प्रमुखता मैंने पायी कि वे सम्पर्क में आये व्यक्ति की ऋणात्मक ऊर्जा को ध्वस्त कर धनात्मक ऊर्जा प्रदान करते हैं । बापू की आभा देखकर मुझे सबसे ज्यादा आश्चर्य हुआ क्योंकि वे कम-से-कम पिछले लगातार 10 जन्मों से समाजसेवा का यह आध्यात्मिक कार्य करते आ रहे हैं – लोगों पर शक्तिपात करके उन्हें अध्यात्म में लगाना, स्वस्थ करना, समाज की बुराइयों को दूर करना, ज्ञानामृत बाँटना, आनंद बरसाना आदि । मुझे पिछले दस जन्मों तक का ही पता चल पाया, उसके पहले का पढ़ने की क्षमता मशीन में नहीं थी । (वीडियो देखने हेतु लिंकः https://goo.gl/OoeHP5 )

ब्रह्मवेत्ता महापुरुषों का सामर्थ्य, उनकी करुणा-कृपा अनंत और अगोचर होती है, भला उसे हमारी इन्द्रियों व मशीनों द्वारा कैसे मापा जा सकता है !

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 23 अंक 355

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

योगलीलाओं की श्रृंखला में जुड़ा एक सुवर्ण अध्याय


29 अगस्त 2012 को मोरबी से पूज्य बापू जी हेलिकॉप्टर से गोधरा के लिए रवाना हुए । गोधरा पहुँचने पर जप हेलिकॉप्टर धरती से करीब 100 फीट ऊपर था तब पायलट का हेलिकॉप्टर पर से नियंत्रण छूट गया… और यह क्या ! हेलिकॉप्टर सीधा जमीन पर उतरने के बजाय मुँह के बल गिरा और उसके पुर्जे अलग-अलग हो गये ।

बापू जी जिस ओर बैठे थे उसी ओर से हेलिकॉप्टर धड़ाम-से गिरकर उलटा हो गया । पंखे के टुकड़े-टुकड़े होकर कई फीट दूर उछल गये । हेलिकॉप्टर का आगे का हिस्सा जमीन पर जोर से टकराया और पीछे का हिस्सा आकाश की ओर उछलकर उसके पुर्जे हवा में बिखर गये । हेलिकॉप्टर खतरनाक ढंग से उलट पुलटकर बापू जी की तरफ वाला हिस्सा नीचे दब गया । उसी क्षण हेलिकॉप्टर के पिछले हिस्से में (पेट्रोल टैंक के पास) भीषण आग लग गयी । पेट्रोल भी कौन सा ? व्हाइट पेट्रोल, जो अति ज्वलनशील होता है । अब पेट्रोल टैंक से बह रहा है व्हाइट पेट्रोल… बिल्कुल एक नल की धार की तरह !

जहाँ आग की एक चिंगारी भी भयंकर विस्फोटक साबित हो सकती है, वहीं आग की लपटों का पेट्रोल टैंक के हिस्से से शांत सुमेल का दृश्य विश्व का आठवाँ अजूबा ही कहलायेगा !

और अचानक आग बुझ गयी । कैसे बुझी आग ? किसने बुझायी ? क्या हेलिकॉप्टर में ऐसा कोई सिस्टम है कि जब हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हो तब उसमें लगी आग अपने-आप बुझ जाय ? ना, अभी तक ऐसी कोई तकनीक खोजी ही नहीं गयी है ।

फिर यह कौन सी चमत्कारिक शक्ति है ? नजर के सामने ही हेलिकॉप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुआ सभी के मन में एक ही सवाल था कि अंदर बैठे पूज्य बापू जी की स्थिति कैसी होगी ?… क्योंकि बापू जी जिस ओर बैठे थे, उस ओर का हेलिकॉप्टर का हिस्सा पलटकर चकनाचूर हो गया था ।

प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि हेलिकॉप्टर क्रैश हुआ उसके बाद कुछ क्षणों में पूज्य बापू जी हेलिकॉप्टर के आगे हिस्से से बाहर आये । हेलिकॉप्टर के पुर्जों के बीच में से बाहर आते ही पूज्य बापू जी ने आसपास खड़े भक्तों को इशारे से कहा कि मैं ठीक हूँ । फिर बापू जी ने अलमस्त अंदाज में ‘हरि ॐ’ की गर्जना की, तब उपस्थित सभी भक्त भी हर्षित होते हुए ‘हरि ॐ बापू जी… हरि ॐ बापू जी…’ बोल उठे ।

जैसे पुराणों में आता है कि भगवान श्रीकृष्ण अघासुर अजगर के मुख से हँसते-खेलते बाहर आ गये थे, वैसे ही बापू जी ने भी हेलिकॉप्टर दुर्घटना का रूप ले के आये हुए अघासुर को अपने योगबल से परास्त कर दिया । इतिहास साक्षी है कि ऐसी भीषण दुर्घटना में आज तक कोई नहीं बच पाया परंतु यहाँ तो बापू जी सहित हेलिकॉप्टर में सवार किसी का बाल भी बाँका नहीं हुआ, किसी को खरोंच तक नहीं आयी ।

पुराणों में लिखित चमत्कारों के बारे में तो केवल सुना है लेकिन यह वास्तविक दृश्य तो कैमरे में कैद होकर इतिहास में सुवर्ण अक्षरों में अंकित हो गया ।

इतनी बड़ी हेलिकॉप्टर दुर्घटना होने के बावजूद बापू जी कुछ ही समय में गोधरा के सत्संग-पंडाल में निर्धारित समय पर पहुँचे और गोधरा का कार्यक्रम सकुशल सम्पन्न हुआ ।

सुनी-सुनायी बात जल्दी मानने में नहीं आती परंतु वीडियो में स्पष्ट दिखने वाले इस सत्य को कौन नकार सकता है ? भारी-भरकम मजबूत धातु के पुर्जों से बने हेलिकॉप्टर का तो बन गया पूरा कचूमर पर आगे की ही सीट पर बैठे बापू जी का कोमल शरीर बिल्कुल स्वस्थ, मस्त, तन्दुरुस्त । कहते हैं न, कि ‘चमत्कार को नमस्कार है !’ इस घटना को देखकर नास्तिकवादी लोगों से भी बरबस संत-भगवंत की महिमा गाये बिन नहीं रहा गया । देश-विदेश के मीडिया ने भी इस चमत्कारिक घटना की भूरि-भूरि प्रशंसा की ।

इस प्रसंग ने इन ब्रह्मज्ञानी महापुरुष की योगलीलाओं में एक नया अध्याय जोड़ दिया है, जो विश्व-इतिहास में सुवर्ण अक्षरों में अंकित हो गया है ।

सभी आश्चर्य के समुद्र में गोता लगाने लगे

देश-विदेश के कई संतों-महंतों, धर्माचार्यों, राजनेताओं व उद्योगपतियों ने बापू जी के बारे में के लिए दूरभाष-पर-दूरभाष करने शुरु कर दिये । सेवानिवृत्त राष्ट्रपति श्रीमती प्रतिभा पाटील ने बापू जी का कुशल समाचार दूरभाष पर पूछने के दौरान बताया कि एयरफोर्स के कई आला अधिकारियों से इस तरह की भयंकर दुर्घटना में सभी लोगों का बच जाने का कारण पूछा तो सभी ने एक स्वर से कहा कि यह एकमात्र बापू जी का चमत्कार ही था वरना ऐसी दुर्घटना में किसी के बचने का कोई प्रश्न ही नहीं उठता !

अब और कैसा चमत्कार चाहिए ?

  • विश्व हिन्दू परिषद के तत्कालीन मुख्य संरक्षक व पूर्व अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री अशोक सिंहल

″बड़ी भारी हेलिकॉप्टर दुर्घटना में भी बिल्कुल सुरक्षित रहने का जो चमत्कार बापू जी के साथ हुआ है, उसे सारी दुनिया ने देख लिया है । अब नास्तिकों, निंदकों को और कौन-सा पर्चा चाहिए ? और कौन सा चमत्कार चाहिए ? अपनी हरकतों से बाज आ जाओ ।″

यह चमत्कारिक घटना से कम नहीं है

श्री सुशील कुमार शिंदे, तत्कालीन केन्द्रीय गृहमंत्री

″पूज्य बापू जी का हेलिकॉप्टर अनियंत्रित हो जोरदार धमाके के साथ जमीन पर गिरकर कई टुकड़ों में बिखर गया । बापू जी आगे की सीट पर ही बैठे थे फिर भी उन्हें तथा किसी को भी खरोंच तक नहीं आयी । यह चमत्कारिक घटना से कम नहीं है । बापू जी की जनता को समर्पित सेवा सर्वविदित है ।″

पूज्य बापू जी को दैवी शक्ति प्राप्त है

श्री राजनाथ सिंह, केन्द्रीय रक्षामंत्री, तत्कालीन वरिष्ठ सांसद, भा.ज.पा.

″मैं अपना शीश झुकाकर परम पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू के चरणों में शत-शत प्रणाम करता हूँ । इतनी बड़ी हेलिकॉप्टर दुर्घटना हुई और बापू जी और उनके सहयोगियों का बाल भी बाँका नहीं हो पाया । हमारे परम पूज्य बापू जी को दैवी शक्ति प्राप्त है । परमात्मा ने उनके अंदर जो शक्ति समाहित की है, उसी का यह करिश्मा था । उसी का यह परिणाम था कि बापू जी और उनके किसी भी सहयोगी को रंचमात्र भी चोट नहीं लगी । मैंने ऐसी दुर्घटना कभी अपने जीवन में नहीं देखी थी । जिसने भी इस दुर्घटना को टेलिविज़न पर देखा, सभी यह मान चुके थे कि इसमें कोई बचा नहीं होगा परंतु क्षणभर में ही बिल्कुल सही-सलामत हमारे सबके आस्था व विश्वास के केन्द्र परम पूज्य संत आशाराम जी बापू अपने सहयोगियों के साथ हेलिकॉप्टर से बाहर आये और आज हम सभी लोग अपने चक्षुओं से उनका प्रत्यक्ष दर्शन कर रहे हैं ।″

दुनिया में यह ऐसा पहला चमत्कार है

अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री मनिंदरजीत सिंह बिट्टा

″दुनिया के अंदर करोड़ों लोगों की आस्था के प्रतीक बापू आशाराम जी हैं । बड़े-बड़े मंत्री, मुख्यमंत्री जिनके पास सत्ता थी, उनके हेलिकॉप्टर गिरे तो कोई सलामत नहीं बचा लेकिन बापू जी के साथ इतना बड़ा हादसा हुआ और किसी को भी एक कंकड़ की भी चोट नहीं आयी ! यह दुनिया में इस प्रकार का पहला चमत्कार है । यह बापू जी का चमत्कार है !″

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 19-21 अंक 355

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

गुरु शिष्य का संबंध प्रेम का सर्वोच्च रूप है !


परमहंस योगानंद जी अपने सद्गुरुदेव श्री युक्तेश्वर गिरिजी के साथ के मधुर संबंध का वर्णन अपने जीवन के कुछ संस्मरणों के माध्यम से करते हुए कहते हैं-

अपने गुरुदेव के साथ मेरा जो संबंध था उससे बड़े किसी संबंध की मैं इस संसार में कल्पना ही नहीं कर सकता । गुरु शिष्य संबंध प्रेम का सर्वोच्च रूप है । एक बार मैंने यह सोचकर अपने गुरु का आश्रम छोड़ दिया कि ‘मैं हिमालय में ज्यादा अच्छी तरह ईश्वरप्राप्ति के लिए साधना कर सकूँगा ।’

यह मेरी भूल थी और शीघ्र ही यह बात मेरी समझ में आ गयी । इतना होने पर भी जब मैं वापस आश्रम में आया तो गुरुदेव ने मेरे साथ ऐसा बर्ताव किया जैसे मैं कभी कहीं गया ही नहीं था । वे इतने सहज भाव से बात कर रहे थे… मुझे फटकारने के बजाय उन्होंने शांत भाव से कहाः ″चलो देखें, आज खाने के लिए हमारे पास क्या है ?″

मैंने कहाः ″परन्तु गुरुदेव ! आश्रम छोड़कर चले जाने के कारण आप मुझसे नाराज नहीं हैं ?″

″क्यों नाराज होऊँ ? मैं कभी किसी से की आशा नहीं करता इसलिए किसी के कोई कार्य मेरी इच्छा के विपरीत हो ही नहीं सकते । मैं अपने किसी स्वार्थ के लिए तुम्हारा उपयोग कभी नहीं करूँगा, तुम्हारे सच्चे सुख में मुझे खुशी है ।″

जब उन्होंने यह कहा तो मैं उनके चरणों में गिर पड़ा और मेरे मुँह से ये उदगार निकल पड़ेः ″पहली बार मुझे कोई ऐसे मिल गये हैं जो मुझसे सच्चा प्रेम करते हैं !″

यदि मैं अपने पिता जी का कारोबार देख रहा होता और इस तरह बीच में ही भाग जाता तो पिताजी मुझसे सख्त नाराज होते । जब मुझे मोटी तनखाह की अच्छी नौकरी मिल रही थी और मैंने उसे स्वीकार करने से इन्कार कर दिया था तो 7 दिन तक उन्होंने मेरे साथ बात करना बंद कर दिया था । उन्होंने मुझे अत्यंत निष्कपट पितृ-प्रेम दिया परंतु वह प्रेम अंधा था । वे सोचते थे कि धन मुझे सुख देगा । धन तो मेरे सुख में आग लगा देता । वह तो बाद में जब मैंने राँची में विद्यालय खोला तब जाकर पिता जी नरम पड़े और उन्होंने कहाः ″मुझे खुशी है कि तुमने वह नौकरी स्वीकार नहीं की ।″ परन्तु मेरे गुरुदेव की मनोवृत्ति देखो । मैं ईश्वर की खोज में उनका आश्रम छोड़कर चला गया था परंतु उससे उनके मेरे प्रति प्रेम में कोई अंतर नहीं आया । उन्होंने मुझे कुछ भला बुरा भी नहीं कहा जबकि अन्य अवसरों पर मैं कुछ गलत करता तो वे स्पष्ट शब्दों में मुझे सुना देते थे । वे कहते थेः ″यदि मेरा प्रेम समझौता करने के लिए तैयार हो जाता है तो वह प्रेम ही नहीं है । तुम्हारी प्रतिक्रिया के डर ये यदि मुझे तुम्हारे साथ अपने व्यवहार में कोई बदलाव लाना  पड़ता है तो तुम्हारे प्रति मेरी भावना को सच्चा प्रेम नहीं कहा जा सकता । मुझमें तुमसे स्पष्ट बात करने की क्षमता होनी ही चाहिए । तुम जब चाहो आश्रम छोड़कर जा सकते हो परंतु जब तक यहाँ मेरे पास हो तब तक तुम्हारी भलाई के लिए, तुम जब-जब कुछ गलत करोगे, तब-तब मैं तुम्हारे ध्यान में यह बात लाऊँगा ही ।″

मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि किसी को मुझमें इतनी रुचि होगी । वे मेरे खातिर ही मुझसे प्रेम करते थे । वे मेरी पूर्णता चाहते थे । वे मुझे सर्वोच्च रूप से सुखी देखना चाहते थे । उनकी खुशी इसी में थी । वे चाहते थे कि मैं ईश्वर को प्राप्त करूँ ।

जब गुरु और शिष्य के बीच इस प्रकार का प्रेम पनपता है तब शिष्य में गुरु के साथ कोई चालाकी करने की इच्छा ही नहीं रह जाती, न ही गुरु में शिष्य पर किसी प्रकार का कोई अधिकार या नियंत्रण स्थापित करने की कोई इच्छा रहती है । उनका संबंध केवल ज्ञान और विवेक पर आधारित होता है । इसके जैसा कोई प्रेम नहीं है । और इस प्रेम का स्वाद मैंने अपने गुरु से चखा है ।

अमृतबिंदु – पूज्य बापू जी

प्रेमी शिष्यों के हृदय में गुरु के अमृतरूपी वचन शोभा देते हैं । उन शिष्यों के हृदय में ये वचन उगते हैं और जब उनको विचाररूपी जल द्वारा सींचा जाता है तो उसमें मोक्षरूपी फल लगता है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2022, पृष्ठ संख्या 5,6 अंक 354

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ