रागी (मँडुआ, मराठी में ‘नाचणी’ ) मधुर, कसैली, कड़वी, शीतल व सुपाच्य होती है । इसमें गेहूँ के समान तथा चावल की अपेक्षा अधिक पौष्टिकता होती है । सुपाच्य होने से सभी ऋतुओं में इसका सेवन किया जाता है ।
आधुनिक अनुसंधानकर्ताओं के अनुसार रागी में सभी अनाजों से अधिक और दूध से 3 गुने कैल्शियम की मात्रा होती है । इसके अतिरिक्त इसमें एमिनो एसिड्स, विटामिन ए, बी तथा फास्फोरस, जो हमारे शरीर के संवर्धन के लिए आवश्यक हैं, संतुलित मात्रा में पाये जाते हैं ।
रागी के विभिन्न लाभ
- इसमें रेशे ( फाइबर्स ) की मात्रा अधिक होने से यह पेट के रोगों, उच्च रक्तचाप तथा आँतों के कैंसर से रक्षा करती है ।
- खून की कमी ( एनीमिया), अजीर्ण, पुराना बुखार, हड्डियों की कमजोरी आदि समस्याओं में तथा कैल्शियम से भरपूर व सुपाच्य होने के कारण बढ़ते हुए बच्चों, गर्भवती महिलाओं व बुजुर्गों के लिए भी इसका सेवन विशेष लाभदायी है ।
- इसमें प्रोटीन की प्रचुरता होने से कुपोषण से लड़ने के लिए यह शरीर को सक्षम बनाती है । शर्करा के स्तर को नियंत्रित रखने की क्षमता के कारण रागी मधुमेह में उपयोगी है ।
रागी के पौष्टिक व्यञ्जन
रागी का सत्त्व बनाने की विधिः रागी को अच्छी तरह से धोकर 8-10 घंटे तक पानी में भिगो के फिर छाया में सुखा दें । फिर मंद आँच पर सेंके व चट-चट आवाज आने पर सेंकना बंद कर दें । ठंडा होने पर रागी को पीसकर आटा बना लें । इस प्रकार बनाया गया रागी का सत्त्व पौष्टिक व पचने में हलका होता है । छोटे बच्चों हेतु सत्त्व को छानकर प्रयोग करें ।
रागी की खीरः एक कटोरी रागी का सत्त्व तथा तीन कटोरी पानी लें । उबलते हुए पानी में थोड़ा-थोड़ा सत्त्व मिलाते हुए पकायें, बाद में इसमें दूध, मिश्री व इलायची डालें । यह खीर स्वादिष्ट, सुपाच्य, सात्त्विक, रक्त व बल वर्धक तथा पुष्टिदायी है ।
रागी की रोटीः रागी का आटा लेकर गूँथ लें । रोटी बेलकर तवे पर डालें और बीच-बीच में घुमाते रहें ताकि काले दाग न पड़ें, थोड़ी देर बाद पलट दें । फिर कपड़े से हलका-हलका दबायें । इससे रोटी फूल जाती है और उसकी 2 पर्तें बनकर यह सुपाच्य व स्वादिष्ट बनती है ।
रागी के आटे में कद्दूकश की हुई ताजी लौकी, जीरा, धनिया, हल्दी आदि मिलाकर भी रोटी बना सकते हैं ।
रागी के लड्डूः रागी का 1 कटोरी आटा घी में भून लें । आटे से आधी मात्रा में गुड़ ले के एक तार की चाशनी बनायें । भूने हुए आटे को चाशनी में मिलाकर लड्डू बना लें इसमें आवश्यकतानुसार इलायची व सूखे मेवे मिला सकते हैं । इन लड्डुओं के सेवन से हड्डियाँ मजबूत बनती है व रक्त की वृद्धि होती है ।
विशेषः यह पौष्टिक चीज (रागी) साफ-सुथरी, कंकड़-पत्थर एवं कचरे बिना की साधकों को मिले इसके प्रयास चालू हो गये हैं । आश्रमों में सत्साहित्य केन्द्रों पर व समितियों से साफ-सुथरी, दोषमुक्त रागी साधकों को मिल जायेगी ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2021, पृष्ठ संख्या 33 अंक 346
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