मंत्र ले गया रोग, बंदर ले गये दवा

मंत्र ले गया रोग, बंदर ले गये दवा


मैं काफी दिनों से ब्लडप्रेशर, डायबिटीज एवं कोलेस्ट्रॉल से पीड़ित था। कुछ ही कदम चलने पर मैं पसीने-पसीने हो जाता था। कंधे भी जकड़े हुए थे, शरीर टूटता था। चिकित्सकों ने मुझे पूर्णरूप से आराम करने की सलाह दी थी परंतु मैं एक समाजसेवी संस्था का संचालन करता हूँ, इससे आराम करने में असमर्थ था। मैंने गुरुपूर्णिमा पर्व पर अहमदाबाद आश्रम में जाकर पूज्य बापूजी के दर्शन करने का विचार किया। परिचितों व चिकित्सकों ने मेरी हालत को देखते हुए न जाने की सलाह दी परंतु मैं जिद करके अहमदाबाद आश्रम गया। वहाँ मुझे कई बार चक्कर आये और मेरी हालत नाजुक हो गयी। अंतर्यामी गुरुदेव शिष्य की व्यथा को समझ गये और लाखों लोगों के बीच से मुझे व्यासपीठ के पास बुलाया। दूसरे की पीड़ा न देख सकने वाले गुरदेव ने मेरा हालचाल पूछा। मैंने सब व्यथा कह दी। बापू जी ने मंत्र दिया और कहाः “मंत्र का प्रतिदिन एक माला जप करना, प्राणायाम करना, सवेरे घूमने जाना और 15 से 17 मिनट सूर्य की किरणें शरीर को लगें ऐसे सूर्यस्नान करना।’

मैंने उनके निर्देशानुसार नियम से जप, प्राणायाम, सूर्यस्नान और घूमना शुरू किया तो मुझे लाभ होने लगा। एक दिन मैं घूमने गया था, घर आया तो पत्नी ने बताया कि ‘लाल मुँह के चार बंदर आये और सारी दवाइयों का पॉलिथीन उठा के ले भागे।’ दूसरी बार दवा ले आया तो फिर से बंदर आकर दवाइयाँ ले भागे। ऐसा 4-5 बार हुआ। सभी को इस घटना का बड़ा आश्चर्य हुआ परंतु मुझे तो इसमें मंत्र का प्रभाव साफ दिखायी दे रहा था, नासै रोग….. हनुमानजी का मंत्र था और हनुमान जी की सेनावाले आये।

मेरी हालत में निरंतर सुधार आता गया। गुरुदेव की कृपा से मैं आज एकदम तंदुरुस्त हूँ। मैं ऐसे भगवद् स्वरूप गुरुदेव के लिए भगवान से प्रार्थना करता हूँ कि वे चिरंजीवी हों और उनकी इस लोक-मांगल्य की पावन सरिता का लाभ विश्वमानव को मिलता रहे।

कमल किशोर खन्ना, अजमेर (राजस्थान)

मोबाइलः 9587297820

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2010, पृष्ठ संख्या 34, अंक 211

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *