सफल जीवन किसका ?

सफल जीवन किसका ?


पूज्य बापू जी के सत्संग-प्रवचन से

जीवन सफल उसी का है जो बिना विकारों, बिना बेईमानी, बिना लूट-खसोट के सहज में सुखी रह सकता है, औरों को सुखी कर सकता है।

एक बार हरि बाबा बदायूँ जिले (उ.प्र.) के गाँव के पास गंगातट पर पहुँचे। उस समय गंगा जी में बाढ़ आयी हुई थी। गंगा जी का पानी इतना फैला हुआ था कि समुद्र की खबर दे रहा था। लोग बेघर हो गये थे। उन्हें दुःखी देख बाबा ने बाँध बँधवाकर उनकी विपत्ति दूर करने का निश्चय किया। उन्होंने अंग्रेज सरकार को कहाः “बाँध बनवाओ।”

बदमाश अंग्रेजों ने कहाः “हमारे पास पैसा नहीं है, फंड नहीं है।”

हरि बाबा ने कहाः “कोई बात नहीं।”

सरकार अपना कर्तव्य भूल गयी तो सफल जीवन वाले ने उठाया फावड़ा, गेंती (कुदाल) और टोकरी। मिट्टी भरी, बोलेः “बाँध हम बनायेंगे।” सैंकड़ों नहीं, हजारों लोग फावड़े और टोकरियाँ लेकर बाबा के साथ बाँध बाँधने में लग गये। कई मजबूत तो कई लूले-लँगड़े भी लगे। कई गरीब, मोहताज और कई किसान लगे। पाँच पचीस बड़े घराने के लोग भी जुट गये। गरीब गुरबों की गरीबी मिटी, मोहताजों की मोहताजी मिटी, व्यसनियों के व्यसन मिटे, पापियों के पाप मिटे….. ‘हरि ॐ, हरि ॐ… हरि बोल, हरि बोल’ के सामूहिक जयघोष ने आसपास के सभी गाँवों को हरिमय कर डाला। बारिश होने के पहले बाँध तैयार हो गया।

‘हरि बाबा का बाँध’ के नाम से आज भी वह दिखाई देगा। यह है सफल जीवन ! रोटी तो माँगकर खा ली और समाज को बाँध बनाकर दे दिया। समाज की तकलीफें दूर कर दीं।

बाँध निर्मित हो जाने के बाद बाबा ने वहाँ विशाल संकीर्तन-भवन, मंदिर तथा संतों के लिए कुटीरों का निर्माण कराया। कथा-कीर्तन एवं सत्संग-सत्रों का आयोजन कराया। प्रतिदिन लोग दूर-दूर से आकर कथा-कीर्तन तथा संत-दर्शन से लाभान्वित होने लगे।

सफल जीवनवाला एक व्यक्ति भी जहाँ होता है, वहाँ चारों तरफ सुखद माहौल बनाने में सक्षम होती है उनकी ज्ञानमयी दृष्टि ! अनासक्ति से भरा हुआ आत्मस्वरूप सफल जीवन नहीं तो क्या है ! सफल जीवन जीना है तो जहाँ भी मौका मिले, तन से भववत्प्रीति के निमित्त सेवा कर लो। ढिंढोरा मत पीटो। बाबा ने आसपास के सैंकड़ों गाँवों को हरा-भरा करने में सफलता पायी लेकिन मैंने बाँध बनवाया है, यह अहंकार नहीं आया। यह सफल जीवन है।

मन से सुखी आदमी को देखकर प्रसन्न हो जाओ, दुःखी आदमी को देखकर द्रवीभूत हो जाओ। बुराई रहित होने का प्रयत्न करो। सफल जीवन आपके कदमों में आ जायेगा। भलाई करो लेकिन अभिमान छोड़ो, सफल जीवन की यात्रा ईमानदारी से होगी। गुरु ने जो मंत्र दिया है उस मंत्र को अर्थसहित जपो और विश्रांतियोग में जाओ। इससे सफल जीवन के द्वार पर पहुँच जाओगे।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2011, पृष्ठ संख्या 10 अंक 221

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