ताजी व कोमल मूली त्रिदोषशामक, जठराग्निवर्धक व उत्तम पाचक है। गर्मियों में इसका सेवन लाभदायी है। इसका कंद, पत्ते, बीज सभी औषधीय गुणों से संपन्न हैं। ताजी व कोमल मूली ही खानी चाहिए। पुरानी, सख्त व मोटी मूली त्रिदोषप्रकोपक, भारी एवं रोगकारक होती है।
इसके 100 ग्राम पत्तों में 340 मि.ग्रा, कैल्शियम, 110 मि.ग्रा. फास्फोरस व 8.8 मि.ग्रा. लौह तत्त्व पाया जाता है। प्रचुर मात्रा में निहित ये खनिज तत्त्व दाँत एवं हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और रक्त बढ़ाते हैं। इसके पत्ते सलाद के रूप में अथवा सब्जी बनाकर भी खाये जा सकते हैं। पत्तों के रस का भी सेवन किया जाता है। इसके पत्ते गुर्दे के रोग, मूत्र संबंधी विकार, उच्च रक्तचाप, मोटापा बवासीर व पाचन संबंधी गड़बड़ियों में खूब लाभदायी है।
गर्मी में अधिक पसीना आने से शरीर में सोडियम की मात्रा कम हो जाती है। मूली में 33 मि.ग्रा. सोडियम पाया जाता है, अतः मूली खाने से इसकी आपूर्ति सहज हो जाती है और थकान भी मिट जाती है।
मूली के घरेलु प्रयोग
मोटापा- मूली के 100 मि.ली रस में 1 नींबू का रस व चुटकी भर नमक मिलाकर सुबह खाली पेट पीने से मोटापा कम होता है।
पेट के विकारः मूली के 50 मि.ली. रस में 1 चम्मच नींबू का रस व आधा चम्मच अदरक का रस मिलाकर भोजन से आधा घंटा पूर्व लेने से पेट की गड़बड़ियों जैसे अजीर्ण, अम्लपित्त, गैस, दर्द कब्ज, उलटी आदि में शीघ्र राहत मिलती है।
मूली को कद्दूकश कर काली मिर्च, नमक व नींबू निचोड़कर कचूमर बनाकर खाने से भी पेट की इन तकलीफों में राहत मिलती है।
भूखवर्धन व पाचनः भूख न लगती हो तो मूली उबालकर सूप बना लें। उसमें काली मिर्च, धनिया, जीरा व हलका-सा नमक मिलाकर भोजन से पहले पियें। इससे भूख खुलकर लगेगी व अन्न का पाचन भी सुगमता से होगा।
गाँठे- शरीर में चर्बी की गाँठें बन गयी हों तो मूली का रस गाँठों पर खूब रगड़ें। रस में नींबू व नमक मिलाकर पीये। गाँठें पिघल जायेंगी। मावा, मिठाई व मेवों का सेवन न करें।
गले के रोगः गले में खराश हो या गला बैठ गया हो तो मूली कद्दूकश कर हल्दी मिलाकर खायें।
जुकामः बार-बार सर्दी, जुकाम, खाँसी होती हो तो मूँग व मूली का सूप बना के काली मिर्च, सेंधा नमक एवं अजवायन मिलाकर पियें।
मूली के पत्तों के प्रयोग
गुर्दे के रोगः गुर्दे की कार्यक्षमता घटने से मूत्रोत्पत्ति कम हो जाती है। शरीर पर सूजन आ जाती है। एक चौथाई कप मूली के पत्तों का रस सुबह खाली पेट व शाम को 4 बजे पियें। पत्तों की सब्जी बिना (नमक डाले) बनाकर खायें। इससे पेशाब खुलकर आने में मदद मिलेगी।
पीलियाः मूली के पत्तों के रस में मिश्री मिलाकर पीना लाभदायी है।
कब्जः मूली के पत्ते काटकर नींबू निचोड़ के खाने से पेट साफ होता है व स्फूर्ति रहती है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2012, अंक 234, पृष्ठ संख्या 31
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