गहरी साजिश के तहत सेवादारों को फँसाया गया

गहरी साजिश के तहत सेवादारों को फँसाया गया


भारतीय संस्कृति को नष्ट करने के षड्यंत्र के तहत बापू जी पर झूठे, बेबुनियाद आरोप लगाकर उन्हें जेल भेज गया। साथ ही बापू जी के सेवादारों को भी इस घिनौनी साजिश के तहत झूठे आरोपों में फँसाया गया है। बापू जी के सत्संग से तो कितने ही हताश-निराश लोगों को जीवन जीने की नयी दिशा मिली है, उनका जीवन उन्नत हुआ है। बापू जी के बारे में ऐसी बातों की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। इस कलियुग में जहाँ अपनी खुद की संतान भी बात मानने को तैयार नहीं होती, ऐसे समय में एक दो नहीं करोड़ों लोग पूज्य बापू जी को आदर से सुनते-मानते हैं, इसके पीछे हैं पूज्य बापू जी का संयम, सदाचार, जप, तप, तितिक्षा और विश्वमानव के परोपकार की मंगल भावना। पूज्य बापू जी के बारे में चल रही अनर्गल बातों में यदि जरा-सी भी सच्चाई होती तो यह समझने वाली बात है कि करोड़ों लोग पूज्य बापू जी से जुड़ते ही क्यों ! और इन करोड़ों लोगों में कितने ही देश-विदेश के उद्योगपति, राजनेता, वकील, डॉक्टर, इंजीनियर, वैज्ञानिक आदि ऊँचे-ऊँचे पदों में हैं। साथ ही इस केस में जिनको आरोपी बनाया गया है, वे भी सम्पन्न  घरों के शिक्षित लोग हैं। वे क्यों सब कुछ छोड़कर आश्रम में आते !

छिंदवाड़ा गुरुकुल में डायरेक्टर पद पर कार्यरत  शरदचन्द्र भाई हैदराबाद के निवासी थे। उन्होंने हैदराबाद से ‘बायो मेडिकल इंजीनियरिंग’ और यूएसए से ‘एमएस’ की डिग्री प्राप्त की हुई है। शरदचन्द्र भाई ब्रह्मचारी हैं। उन पर आरोप लगाया गया है कि ‘वे बापू जी के पास लड़कियों को भेजते थे।’ यह बात बिल्कुल वाहियात और झूठा आरोप है। यह तो सोचने वाली बात है कि यदि आश्रम  में ऐसी घटनायें होतीं तो इतना पढ़ा लिखा, धन-धान्य से सम्पन्न व्यक्ति बापू जी के पास ही क्यों आता ! दूसरी बात यदि उसे ऐसे काम करने होते तो वह आश्रम क्यों आता ! आश्रम तो भगवदभक्ति व साधना के लिए हैं, समाज सेवा के लिए हैं।

शिल्पी गुप्ता छिंदवाड़ा गुरुकुल में छात्रावास अध्यक्ष और संचालिक के रूप में सेवारत थी। शिल्पी बहन के ऊपर आरोप लगाया है कि वे लड़कियों को बहला-फुसलाकर बापू जी के पास भेजती थीं। यह आरोप सरासर झूठा और बेबुनियाद है क्योंकि शिल्पी बहन पोस्टग्रेजुएट हैं, तथा एक सम्पन्न परिवार से हैं। उन्हें घर में पैसों की कोई कमी नहीं है कि वे पैसे के लालच  में ऐसा काम करें। शिल्पी बहन के पिता जी रायपुर में ‘नगर तथा ग्राम  निवेश’ में संयुक्त संचालक (Joint Director) के पद पर हैं। यदि ऐसा कुछ होता रहता तो वे बापू जी से जुड़ती ही क्यों ? शिल्पी बहन ने बताया था कि “ईश्वर की कृपा से मेरे घऱ में कोई कमी नहीं है। बापू जी के द्वारा मुझे कभी कोई प्रलोभन नहीं दिया गया है और न फ्लैट दिया गया है और न ही ऐसा कोई ऑफर आया है कि मुझे कोई बड़ी संचालिका बना देंगे। मेरी बचपन से इच्छा थी कि सेवा करूँ और यहाँ पर आकर मुझे लगा कि यहाँ मेरा निःस्वार्थ सेवा का संकल्प पूरा हो रहा है। मेरा और पूज्य बापू जी का संबंध एक पिता और पुत्री का ही है।  मैं बापू जी को पिता ही मानती हूँ।”

किशोर देवड़ा बापू जी का अंगद सेवक है, ब्रह्ममचारी है। उन्होंने अपने फार्म में बापू जी के लिए कुटिया बनवायी थी। बापू जी यदि ऐसा काम करते तो यह व्यक्ति कुटिया क्यों बनवाता ? बिल्कुल मनगढ़ंत कहानी बनाकर साजिशकर्ताओं द्वारा बापू जी पर  घृणित आरोप लगवाये जा रहे हैं।

अब देश की जागरूक जनता इस षड्यंत्र को समझे और विचार करे कि बापू जी और उनके सेवादारों को आखिर क्यों सताया जा रहा है ? क्या उनका यही गुनाह है कि उन्होंने देश, संस्कृति व समाज को  नोचने व तोड़ने वाली ताकतों से देशवासियों को बचाने का प्रयत्न किया ?

स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बरर 2013, पृष्ठ संख्या 16, अंक 252

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