गर्भपात के भयंकर दुष्परिणाम
स्तन कैंसर की सम्भावना में 30 प्रतिशत की वृद्धि। महिलाओं में हार्मोन्स का स्तर कम होने से फिर से बच्चे होने की सम्भावना में कमी। यदि संतान होती है तो उसके कमजोर और अपंग होने की सम्भावना। मासिक धर्म में खराबी, कमरदर्द की शिकायत बढ़ जाती है तथा माँ की मृत्यु तक हो सकती है।
सर्वाईकल कैंसर का ढाई गुना व अंडाशय (ओवेरियन) कैंसर का 50 प्रतिशत अधिक खतरा। मनोबल में कमी, सिरदर्द, चिड़चिड़ापन, आत्महत्या के विचारों व मानसिक तनाव में वृद्धि।
गर्भपात के समय इन्फेक्शन होने पर जानलेवा पेल्विक इन्फलेमेटरी डिसीज की सम्भावना अधिक हो जाती है। गर्भपात कराने वाली 50 प्रतिशत महिलाओं में फिर से गर्भपात होने की सम्भावना बढ़ जाती है।
अपने-आप पर अत्याचार क्यों ?
“गर्भपात संतान के विनाश के साथ पुण्याई तो नष्ट करता ही है, साथ ही माता के स्वास्थ्य का भी विनाश करता है। अतः दवाइयों या कातिल साधनों से अपने निर्दोष शिशु के टुकड़े करवाकर (गर्भपात करवाकर) घातक बीमारियों के शिकार व महापाप का भागी बनना कहाँ तक उचित है ?” – पूज्य बापू जी।
“गर्भस्थ शिशु को अनेक जन्मों का ज्ञान होता है इसलिए श्रीमद् भागवत में उसको ऋषि (ज्ञानी) कहा गया है। गर्भपात यह कितना बड़ा पाप है ! रावण और हिरण्यकशिपु के राज्य में भी गर्भपात जैसा महापाप नहीं हुआ था ! आज यह महापाप घर-घर हो रहा है। यदि माँ ही अपनी संतान का नाश कर दे तो फिर किससे रक्षा की आशा करें ?” – स्वामी श्रीरामसुखदासजी महाराज।
अतः सभी पवित्र आत्माओं और देश के जागरूक नागरिकों से अनुरोध है कि इस अभियान का सभी क्षेत्रों में प्रचार-प्रसार करें तथा इस भयानक पाप के भागीदार न स्वयं बनें न दूसरों को बनने दें।
सिजेरियन की घातक हानियाँ
विश्वमानव के हितैषी पूज्य संत श्री आशारामजी बापू वर्षों से सत्संग में कहते आ रहे हैं कि ‘ऑपरेशन द्वारा प्रसूति माँ और बच्चे-दोनों के लिए हानिकारक है। अतः प्राकृतिक प्रसूति के उपायों का अवलम्बन लेना चाहिए।’
अब विज्ञान भी कह रहा है….
सामान्य प्रसूति के समय स्रावित होने वाले 95 प्रतिशत योनिगत द्रव्य हितकर जीवाणुओं से युक्त होते हैं, जो शिशु की रोगप्रतिकारक और पाचन शक्ति बढ़ाते हैं। दमा, एलर्जी, श्वसन-संबंधी रोगों का खतरा काफी कम हो जाता है।
सिजेरियन डिलीवरी से हानि
स्विटजरलैंड के डॉ. केरोलिन रोदुइत द्वारा 2916 बच्चों के अध्ययन के आधार पर….
बच्चे को होने वाली हानियाँ
रोगप्रतिकारक शक्ति में कमी। दमे की सम्भावना में 80 प्रतिशत व मधुमेह की सम्भावना में 20 प्रतिशत की वृद्धि। अगले शिशु के मस्तिष्क व मेरुरज्जु में विकृति का खतरा, वजन में कमी।
माँ को होने वाली हानियाँ
माँ की मृत्यु की सम्भावना में 26 गुना वृद्धि। गर्भाशय निकालने तक की नौबत। अगली गर्भावस्था में गर्भाशय फटने का डर अधिक। फिर से गर्भधारण न कर पाने की सम्भावना। ऑपरेशन की जगह पर हर्निया होने का खतरा।
‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ को हाथ लगा कड़वा सच
“बहुत से मामलों में अस्पतालों द्वारा पैसे कमाने के लालच में ऑपरेशन द्वारा प्रसूति करवायी गयी।”
अतः प्रसूति के दर्द के भय के कारण अथवा भावी खतरों से अनजान होने से सिजेरियन को स्वीकार करने वाली माताएँ अब सावधान हो जायें। सामान्य प्रसूति से बच्चों को जन्म दें।
सामान्य प्रसूति का रामबाण इलाज
“सामान्य प्रसूति के लिए देशी गाय के गोबर का 10-12 ग्राम ताजा रस निकालें, गुरुमंत्र या ‘नारायण नारायण….’ जप करके गर्भवती महिला को पिला दें। एक घंटे में प्रसूति नहीं हो तो एक बार फिर पिला दें। सहजता से प्रसूति होगी। अगर प्रसव-पीड़ा समय पर शुरु नहीं हो रही हो तो गर्भिणी ‘जम्भला… जम्भला….’ मंत्र का जप करे और पीड़ा शुरु होने पर उसे गोबर का रस पिलायें तो सुखपूर्वक प्रसव होगा।” – पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू
इसके रंगीन पर्चे (पैम्फलेट) मँगवाने हेतु सम्पर्क करें- महिला उत्थान मंडल, संत श्री आशारामजी आश्रम, अहमदाबाद-5 फोन- 079-39877788
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स्रोतः ऋषि प्रसाद, फरवरी 2014, पृष्ठ संख्या 23,24 अंक 254
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