यदि सजग नहीं हुए तो…..

यदि सजग नहीं हुए तो…..


तीन दशक पूर्व राष्ट्र विरोधी ताकतों ने कूटनीतिपूर्वक देशवासियों को भ्रमित करके ऐसी स्थिति उत्पन्न की जिससे दहेज कानून को सख्त करके 498 ए को लागू किया जा सके। नतीजा यह आया कि इसका अंधाधुंध दुरुपयोग होने लगा और 12 साल के बच्चे से लेकर वृद्धों तक लाखों निर्दोष सलाखों के पीछे पहुँच गये। आखिर सर्वोच्च न्यायालय को आदेश जारी करना पड़ा कि ‘दहेज मामले में गिरफ्तारी जाँच के बाद ही हो।’

इसी प्रकार दामिनी प्रकरण के बाद बने नये रेप कानूनों का भी दुरुपयोग हो रहा है। इस बात को देश के गणमान्य व्यक्तियों तथा न्यायालय ने भी स्वीकारा है। एक मामले की सुनवाई करते हुए अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कामिनी लाउ ने कहाः “महिलाओं के प्रति अपराध से संबंधित कानूनों के दुरुपयोग पर अंकुश लगाने की आवश्यकता है।”

पूर्व केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहाः “आईपीसी की धारा 376 (रेप कानून) का दहेज उत्पीड़न से संबंधित धारा 498 ए की तरह ही गलत इस्तेमाल हो रहा है।”

एक पूर्व मुख्यमंत्री भी इस सत्य को स्वीकारते हुए बोलेः “देश में बलात्कार रोधी कानून का दुरुपयोग हो रहा है।”

निर्दोष आम नागरिकों से लेकर राष्ट्रहितैषी संत, वरिष्ठतम न्यायाधीश, मंत्री, आला अधिकारी आदि सभी इस कानून के शिकार हो रहे हैं। इसके अनेक उदाहरण ‘ऋषि प्रसाद’ पत्रिका के पिछले कई अंकों में प्रकाशित हुए हैं। कुछ अन्य उदाहरण-

नाबालिग ने लगवायी पड़ोसी पर पाक्सो की धारा

जोधपुर में एक पड़ोसी युवक ने 8वीं कक्षा की एक छात्रा को एक लड़के के साथ भागते हुए देखा था। परिजनों से इस बात को छुपाने के लिए छात्रा ने पड़ोसी युवक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया। पुलिस ने युवक के खिलाफ पॉक्सो एक्ट की धारा भी लगा दी। लड़की ने बाद में सच्चाई स्वीकार की, युवक निर्दोष साबित हुआ।

एक केन्द्रीय मंत्री पर भी एक महिला ने बलात्कार का आरोप लगाया था। कड़ी छानबीन के बाद पता चला कि यह षडयन्त्र माफियाओं ने रचा था।

देश व संस्कृति की सेवा में अपना सारा जीवन लगाने वाले तथा करोड़ों लोगों के जीवन में संयम-सदाचार का संचार करने वाले संत पूज्य बापू जी को भी इसी प्रकार कानून का दुरुपयोग कर बिना किसी तथ्य व सबूत के सुनियोजित षडयंत्र के तहत जेल भेजा गया है।

इसके पहले भी समलैंगिकता, अंधश्रद्धा उन्मूलन कानून, लक्षित हिंसा बिल आदि ऐसे कानून बनाने का प्रयत्न किया गया, जिनके माध्यम से भारतीय संस्कृति को तहस-नहस किया  जा सके।

भारतीय संस्कृति को बचाने के लिए आवश्यकता है सजग होकर इन देश विरोधी ताकतों के मंसूबों को नाकामयाब करने की। देश की जागरूक जनता किसी के बहकावे में न आकर सच्चाई को समझे और ऐसे कानूनों में जल्द से जल्द सुधार की माँग करे। यदि अब भी सजग नहीं हुए तो कल आप भी इसके शिकार हो सकते हैं !

श्री आर.सी. मिश्र

स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2014, पृष्ठ संख्या 6, अंक 263

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