रात को 2-4 बादाम पानी में भिगो दें। सुबह छिलके उतार कर 1-2 काली मिर्च और मिश्री मिलाकर खूब महीन पीस लें। इसे सुबह खाली पेट लेने से बुद्धि, स्मरणशक्ति तथा शारीरिक शक्ति में वृद्धि होती है। इससे नेत्रज्योति भी बढ़ती है।
100-100 ग्राम बादाम, किशमिश, छुहारा, सूखा नारियल तथा 400 ग्राम भुने चने और 800 ग्राम मिश्री सभी को पीस कर रख लें। 20 से 50 ग्राम रोज नाश्ते में खिलाने से बालक बलवान बनते हैं तथा उनकी याद्दाश्त व बौद्धिक क्षमता में वृद्धि होती है।
आँतों की शुष्कता मिटायें, कब्जियत भगायें
कब्ज कई प्रकार की बीमारियों की जड़ है। इसके रोगियों को रोजाना विरेचक औषधियाँ लेने की आदत पड़ जाती है, जिससे उनकी आँतें शुष्क हो जाती हैं। 5 से 10 बूँद बादाम का तेल दूध में डालकर रात्रि को (सोने से कम-से-कम 1 घंटा पहले) पीने से आँतों की शुष्कता तथा कब्जियत दूर होती है।
मानसिक रोगों का घरेलु उपचार
सौंफ, बादाम, गुलाब के सूखे फूल, खसखस, काली मिर्च – सभी समान मात्रा में लेकर पीस लें और आवश्यकतानुसार मिश्री मिलाकर रख लें। सुबह 1 चम्मच मिश्रण पानी में घोलकर सेवन करें। साथ में सुबह 5-5 बूँद देशी गाय का घी दोनों नथुनों में डालें। इससे सभी प्रकार के मानसिक रोगों में लाभ होता है।
स्वास्थ्य के घरेलु सरल उपाय
आधासीसीः 12 ग्राम पुराना गुड़ 6 ग्राम देशी घी के साथ सूर्योदय से पहले तथा शाम को सूर्यास्त से पहले खाने से आधे सिर के दर्द में आराम मिलता है।
बच्चों का कृमि रोगः बच्चों को रात को सोने से पहले 1 अखरोट खिलाकर गुनगुना पानी पिलायें। पेट के कीड़े पाखाने के साथ निकल जाते हैं।
वीर्यरक्षक व पुष्टिवर्धक गोखरू
वीर्यक्षीणता, स्वप्नदोष, शीघ्रपतन व दुर्बलता आदि समस्याओं में गोखरू विशेष लाभदायी है। बल-वीर्य व मांस वर्धक होने के साथ यह शौच साफ लाता है। यह गुर्दे व मूत्र सम्बंधी रोगों को दूर करता है तथा प्रमेह (गोनोरिया), सुजाक, शोथ (सूजन) एवं हृदय विकारों में लाभकारी है।
100-100 ग्राम गोखरू, शतावरी तथा तालमखाना का चूर्ण और 300 ग्राम पिसी मिश्री मिलाकर रख लें। 1-1 चम्मच मिश्रण दूध के साथ सुबह-शाम लेने से शीघ्रपतन व वीर्यक्षीणता दूर होती है तथा शरीर हृष्ट-पुष्ट बनता है।
रसायन चूर्ण व टेबलैट
गोखरू, आँवला तथा गिलोय को समभाग मिलाकर यह विशेष रसायन योग बनाया जाता है। यह चूर्ण पौष्टिक बलप्रद, खुलकर पेशाब लाने वाला एवं वीर्यदोष दूर करने वाला है। जीर्णज्वर तथा धातुगत ज्वर दूर करता है। उदर रोग, आँतों के दोष, मूत्रसंबंधी विकार, स्वप्नदोष तथा धातुसंबंधी बीमारियों में लाभ करता है। पाचनतंत्र, नाड़ी तंत्र तथा ओज-वीर्य की रक्षा करता है। छोटे बड़े, रोगी निरोगी सभी इसका सेवन कर सकते हैं। रसायन चूर्ण बड़ी उम्र में होने वाली व्याधियों का नाश करता है। शक्ति, स्फूर्ति एवं ताजगी तथा दीर्घ जीवन देने वाला है। 40 वर्ष की उम्र से बढ़े प्रत्येक व्यक्ति को तो निरोग रहने हेतु हररोज इसका सेवन विशेष रूप से करना चाहिए। यह ‘रसायन चूर्ण’ के नाम से सभी संत श्री आशाराम जी आश्रमों तथा सेवाकेन्द्रों पर उपलब्ध है।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जनवरी 2015, पृष्ठ संख्या 30, अंक 265
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