भारत आजीविका की दृष्टि से कृषि प्रधान एवं जीवनशैली की दृष्टि से अध्यात्म-प्रधान देश है। देशी गाय कृषि एवं अध्यात्म दोनों ही दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है। गौ देश के अर्थतंत्र की रीढ़ है। गोमांस निर्यात करने से जो आय होती है, उससे अधिक आय गाय के मूत्र, गोबर, दूध, घी आदि से प्राप्त की जा सकती है। अन्य दवाइयों की अपेक्षा इन गौरसों से बनने वाली दवाइयों को ‘विश्व स्वास्थ्य संगठन’ ने अधिक प्रभावशाली बताया है। अगर कोई गाय दूध नहीं देती तो भी उसके मूत्र व गोबर के द्वारा ही अच्छी खासी आय की जा सकती है। पूज्य बापू जी के मार्गदर्शन में देश के कई राज्यों में गौशालाएँ चलायी जा रही हैं, जिनमें से कइयों में कत्लखाने ले जायी जा रही हजारों गायों की रक्षा करके उनका पालन-पोषण किया जा रहा है। इन गौशालाओं में कई गरीब गौपालक परिवारों को रोजी रोटी भी मिलती है। स्वास्थ्यवर्धक तथा मन-मति को सात्त्विक बनाने वाले गौ-उत्पाद अल्प मूल्य में सुलभ होने से समाज भी लाभान्वित हो रहा है।
महाराष्ट्र के बाद हरियाणा गोवध व गोमांस की बिक्री पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने वाला देश में दूसरा राज्य बन गया है। हरियाणा में गोवध पर अधिकतम दस वर्ष की कैद होगी और तीस हजार से एक लाख रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान है। जुर्माना न भरने पर एक वर्ष का और कारावास भुगतना होगा। नये कानून के तहत प्रदेश में हर तरह के गोमांस की बिक्री प्रतिबंधित रहेगी। गौ तस्करी करते हुए अगर कोई वाहन पकड़ा गया तो उसे जब्त करने के बाद नीलाम किया जायेगा। अन्य राज्य सरकारों व केन्द्र सरकार को भी ऐसे राष्ट्र-हितकारी कदम उठाने चाहिए व समाज तक गौ की महत्ता पहुँचाने के लिए विशेष जागृति अभियान चलाया जाना चाहिए।
आज विज्ञान भी देशी गाय से होने वाले लाभों को देखकर आश्चर्यचकित है पर विज्ञान ने जितना जाना है, गाय में उससे कई गुना अधिक लाभ हैं। अनादिकाल से हमारे शास्त्रों व संत-महापुरुषों ने देशी गाय की महिमा बतायी है तथा आध्यात्मिक व जागतिक लाभ के साथ सुखी जीवन जीने के लिए गौरक्षा को परम कर्तव्य बताया है। प्रस्तुत हैं गौरक्षा के संबंध में कुछ महापुरुषों व विद्वानों के अनमोल वचनः
देशी गाय का दूध स्वास्थ्य का रक्षक और पोषक है। गाय की रक्षा में स्वास्थ्य मानवता और संस्कृति की रक्षा है।
पूज्य संत श्री आशाराम जी बापू
गोवंश धर्म, संस्कृति व स्वाभिमान का प्रतीक रहा है।
स्वामी दयानंद सरस्वती
यही आस पूरन करो तुम हमारी, मिटे कष्ट गौअन, छुटै खेद भारी।
गुरु गोविन्दसिंहजी
गोवंश की रक्षा में देश की रक्षा समायी हुई है। भारतीय संविधान में पहली धारा ‘सम्पूर्ण गोवंश हत्या निषेध’ की होनी चाहिए।
पं. मदनमोहन मालवीय
जब तक गाय को बचाने का उपाय ढूँढ नहीं निकालते, तब तक स्वराज्य अर्थहीन कहा जायेगा। गोवंश की रक्षा ईश्वर की सारी मूक सृष्टि की रक्षा करना। भारत की सुख-समृद्धि गौ के साथ जुड़ी हुई है।
महात्मा गाँधी
गौ रक्षा करना यह इस देश के प्रत्येक नर-नारी का महान कर्तव्य है।
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय
गौहत्या मातृहत्या है। संविधान में आवश्यक संशोधन किया जाय, सम्पूर्ण गोवंश हत्या बंदी का केन्द्रीय कानून बने। इसके लिए सत्याग्रह करना पड़े तो सत्याग्रह करो।
आचार्य विनोबा भावे
राष्ट्र की उन्नति चाहने वाला हर व्यक्ति गौ-उत्पादों (गाय का दूध, घी, दही, मक्खन, छाछ आदि) का उपयोग करे तथा गोमांस, चमड़ा आदि से बनी वस्तुओं का बहिष्कार करे। गोग्रास देना शुरु करे। इस प्रकार धरा की इस अनमोल धरोहर को विनष्ट होने से बचाने में हमें भी अवश्य सहयोगी बनना चाहिए।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2015, पृष्ठ संख्या 20,21 अंक 268
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