खजूर मधुर, शीतल, पौष्टिक व सेवन करने के बाद तुरंत शक्ति-स्फूर्ति देने वाला है। यह विशेषतः रक्त, मांस व वीर्य की वृद्धि करता है। यह हृदय व मस्तिष्क को शक्ति देता है, वायु व कफ का शमन करता है तथा मल व मूत्र साफ लाता है। खजूर में कार्बोहाइड्रेटस, प्रोटीन्स, लौह, मैग्नेशियम, फॉस्फोरस आदि भरपूर मात्रा में पाये जाते हैं। इसके नियमित सेवन से मांस की वृद्धि होकर शरीर पुष्ट हो जाता है। गाय के घी अथवा दूध के साथ खजूर लेने से शुक्राणुओं की वृद्धि होती है।
पाचक व पौष्टिक खजूर चटनी
खजूर में नींबू का रस, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक आदि मिलाकर चटनी बनायें। इसको खाने से भूख खुलकर लगती है, पाचन ठीक से होता है, गैस की तकलीफ व अरुचि दूर होती है। यह चटनी पौष्टिक और बलप्रद भी है।
बलप्रद अवलेह
खजूर, द्राक्ष, मिश्री व घी – प्रत्येक 100 ग्राम व 10 ग्राम पीपर को अच्छे से मिलाकर रखें। अवलेह तैयार हो गया। प्रतिदिन 20-30 ग्राम सेवन करने से क्षय (टी.बी.), क्षयजनित खाँसी, दमा और स्वरभेद (आवाज बदल जाना, रूखी-तीखी आवाज) में अच्छा लाभ होता है। बालकों के लिए भी यह स्वादिष्ट, रुचिकर और बलप्रद है।
खजूर के विविध प्रयोग
वीर्यवर्धकः 5-7 खजूर तथा 25-30 किशमिश प्रतिदिन सेवन करने से रक्त की वृद्धि होती है। दुर्बल शरीर मन वाले एवं जिनका वीर्य क्षीण हो गया है, ऐसे लोगों के लिए प्रतिदिन प्रातः इनका सेवन लाभदायक है।
5-7 खजूर व रात को भिगोकर छिलके उतारे हुए 5 बादाम सुबह दूध के साथ कुछ महीने सेवन करने से वीर्य की वृद्धि होती है और शीघ्रपतन की विकृति नष्ट होती है।
रक्ताल्पताः घीयुक्त, दूध के साथ रोज 5-7 खजूर का उपयोग करने से खून की कमी दूर होती है।
शारीरिक निर्बलताः 500 ग्राम बीज निकला हुआ खजूर कूटें। उसमें बादाम, पिस्ता चिरौंजी, मिश्री व घी – प्रत्येक 50 ग्राम मिलाकर उसके 50-50 ग्राम के लड्डू बना के रखें। प्रतिदिन 1 लड्डू खाकर ऊपर से दूध पीने से शारीरिक निर्बलता दूर होती है।
दूध में 5 खजूर व 2 ग्राम अश्वगंधा चूर्ण मिलाकर सेवन करें।
नपुंसकताः खजूर में 1 ग्राम व दालचीनी का चूर्ण मिलाकर सुबह गुनगुने दूध के साथ सेवन करने से नपुंसकता में लाभ होता है।
मात्राः 5 से 7 खजूर अच्छी तरह धोकर रात को भिगो को सुबह खायें। बच्चों के लिए 2-4 खजूर पर्याप्त हैं। दूध या घी में मिलाकर खाना विशेष लाभदायी है। होली के बाद खजूर खाना हितकारी नहीं है।
प्राप्ति स्थान
सभी संत श्री आशाराम जी आश्रम। सम्पर्कः 079-3987773
स्रोतः ऋषि प्रसाद, दिसम्बर 2015, पृष्ठ संख्या 31, अंक 76
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