वर्षा ऋतु में रोग, मंदाग्नि, वायुप्रकोप, पित्तप्रकोप का बाहुल्य होता है। 80 प्रकार के वायु संबंधी व 32 प्रकार के पित्त संबंधी रोग होते हैं। वात और पित्त जुड़ता है तो हृदयाघात (हार्ट अटैक) होता है और दूसरी कई बीमारियाँ बनती हैं। इनका नियंत्रण करने के लिए बहुत सारी दवाइयों की जरूरत नहीं है। समान मात्रा में हरड़ व आँवला, थोड़ी सी सौंठ एवं मिश्री का मिश्रण बना कर घर में रख लो। आश्रम के आँवला चूर्ण में मिश्री तो है ही। आँवला, मिश्री दोनों पित्तशामक हैं। सौंठ वायु शामक है और हरड़ पाचन बढ़ाने वाली है। अगर वायु और पित्त है तो यह मिश्रण लो और अकेला वायुप्रकोप है तो हरड़ में थोड़ा सेंधा नमक मिलाकर लो अथवा हरड़ घी में भूनकर लो।
जो वर्षा ऋतु में रात को देर से सोयेंगे उनको पित्तदोष पकड़ेगा। इन दिनों में रात्रि को जल्दी सोना चाहिए, भोजन सुपाच्य लेना चाहिए और बादाम, काजू, पिस्ता, रसगुल्ले, मावा, रबड़ी दुश्मन को भी नहीं खिलाना, बीमारी लायेंगे।
पाचन कमजोर है, पेट में खराबियाँ हैं तो 30 ग्राम तुलसी बीज जरा कूट दो, फिर उसमें 10-10 ग्राम शहद व अदरक का रस मिला दो। आधा-आधा ग्राम की गोलियाँ बना लो। ये दो गोली सुबह ले लो तो कैसा भी कमजोर व्यक्ति हो, भूख नहीं लगती हो, पेट में कृमि की शिकायत हो, अम्लपित्त (एसिडिटी) हो, सब गायब ! रविवार को मत लेना बस। बुढ़ापे को रोकने में और स्वास्थ्य की रक्षा करने में तुलसी के बीज की बराबरी की दूसरी चीज हमने नहीं देखी।
जिसको पेशाब रुकने की तकलीफ है वह जौ के आटे की रोटी अथवा मूली खाये, अपने आप तकलीफ दूर हो जायेगी। स्वस्थ रहने के लिए सूर्य की कोमल किरणों में स्नान सभी ऋतुओं में हितकारी है। अश्विनी मुद्रा वर्षा ऋतु की बीमारियों को भगाने के लिए एक सुंदर युक्ति है। (विधिः सुबह खाली पेट शवासन में लेट जायें। पूरा श्वास बाहर फेंक दें और 30-40 बार गुदाद्वार का आकुंचन-प्रसरण करें, जैसे घोड़ा लीद छोड़ते समय करता है। इस प्रक्रिया को 4-5 बार दुहरायें।)
बड़ी उम्र में, बुढ़ापे में आम स्वास्थ्य के लिए अच्छे हैं लेकिन जो कलमी आम हैं वे देर से पचते हैं और थोड़ा वायु करते हैं। लेकिन गुठली से जो पेड़ पैदा होता है उसके आम (रेशे वाले) वायु नाश करते हैं, जल्दी पचते हैं और बड़ी उम्र वालों के लिए अमृत का काम करते हैं। कलमी आम की अपेक्षा गुठली से पैदा हुए पेड़ के आम मिलें तो दुगने भाव में लेना भी अच्छा है।
घुटने के दर्द का इलाज
100 ग्राम तिल को मिक्सी में पीस लो और उसमें 10 ग्राम सौंठ डालो। 5-7 ग्राम रोज फाँको।
अरंडी के तेल में लहसुन (3-4 कलियाँ) टुकड़ा करके डाल के गर्म करो। लहसुन तल जाय तो उतारकर छान के रखो। घुटनों के दर्द में इस तेल से मालिश करो।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2016, पृष्ठ संख्या 31, अंक 283
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