बलवर्धक एवं पुष्टिदायक देशी गाय का दूध

बलवर्धक एवं पुष्टिदायक देशी गाय का दूध


देशी गाय के दूध को सम्पूर्ण आहार माना जाता है। इसे शास्त्रों ने ‘पृथ्वीलोक का अमृत’ कहा है, विशेषतः इसलिए कि यह उत्तम स्वास्थ्य प्रदायक एवं शरीर को दीर्घकाल तक बनाये रखने में सहायक है। गोदुग्ध शरीर की रोगप्रतिकारक शक्ति बढ़ाकर रोगमुक्त रखने में सहायक है।

आधुनिक अनुसंधानों के अनुसार देशी गाय के दूध में शरीर के लिए आवश्यक अधिकांशतः सभी पोषक तत्त्व – कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन एवं खनिज तत्त्व प्रचुर मात्रा में पाये जाने के कारण यह एक पौष्टिक आहार है।

दूध शरीर को ताकत देता है, थकान को कम करता है, शक्ति कायम रखता है और आयु व स्मृति बढ़ाता है। बाल्यावस्था में दुग्धपान शरीर की वृद्धि करने वाला होता है। खाँड (कच्ची, लाल चीनी) या मिश्री मिला दूध वीर्यवर्धक तथा वात-पित्तशामक होता है।

देशी गोदुग्ध के कुछ औषधीय प्रयोग

उबाला हुआ गुनगुना दूध पीने से हिचकियाँ आना बंद हो जाता है।

दूध में आधा चम्मच हल्दी डाल के उबाल के पीने से जुकाम में लाभ होता है।

गुनगुने दूध में घी और मिश्री मिला के पीने से शरीर पुष्ट होता है, बल बढ़ता है और वीर्यवृद्धि होती है।

देशी गाय के दूध में दुगना पानी मिलायें एवं मिलाया हुआ पानी वाष्पीभूत होने तक उबालें व ठंडा होने पर मिश्री मिला के पियें। इससे पित्त प्रकोप से होने वाली जलन आदि बीमारियों में लाभ होता है।

पुष्टिप्रद खीर

देशी गाय के दूध की खीर सात्त्विक व बलप्रद होती है। विशेष रूप से शरद ऋतु में खीर खाना स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभकारी है।

विधिः 200 ग्राम पके चावल में एक लीटर दूध डालकर 2-4 उबाल आने तक गर्म करें। आवश्यकता अनुसार मिश्री डालें। शीत ऋतु में उचित मात्रा में बादाम, काजू पिस्ता आदि मेवे भी डाल सकते हैं। प्रति व्यक्ति 1-2 काली मिर्च दूध में उबालनी चाहिए, जिससे दूध का वायु दोष दूर हो जाये।

विशेषः शरद पूनम (5 अक्तूबर 2017) की रात को 9 से 11 बजे के बीच खीर को चन्द्रमा की किरणों में रख दें। फिर अपने इष्टदेव, गुरुदेव को मन-ही-मन अर्पित कर भगवत्प्रसाद की भावना करके यह खीर खायें तो इससे आपको शारीरिक स्वास्थ्य के साथ मानसिक प्रसन्नता एवं आध्यात्मिक लाभ भी मिलेगा।

देशी गाय का दूध सभी के लिए अनुकूल रहता है तथापि गैस या मंद पाचन की शिकायतवालों को काली मिर्च सौंठ, इलायची, पीपर, पीपरामूल, दालचीनी जैसे पाचक मसाले मिला के उबाला हुआ दूध लेना चाहिए। थोड़ी सी पीपर या सोंठ डालने से दूध अग्नि प्रदीपक तथा वातहर बनता है।

ध्यान दें- दूध के उपरोक्त लाभ सिर्फ देशी गाय के दूध से मिलेंगे। जर्सी, ब्राउन, स्वीडिश, होल्सटीन, फ्रिजीयन आदि विदेशी नस्लों की तथाकथित गायों का दूध पीने से लाभ की जगह विभिन्न प्रकार के रोग होने की सम्भावना होती है। यदि देशी गाय का दूध प्राप्त न हो सके तो भैंस का दूध ले सकते हैं परंतु विदेशी नस्ल की तथाकथित गाय का दूध नहीं लेना चाहिए।

दूध को ज्यादा उबाल के गाढ़ा बना के उपयोग करना हितकर नहीं है। दूध और भोजन के बीच कम-से-कम 3 घंटे का अंतर रखें।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अगस्त 2017, पृष्ठ संख्या 29,33 अंक 296

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