महामारी, रोग व दुःख शमन हेतु मंत्र
अग्नि पुराण में महर्षि पुष्कर जी परशुराम जी से कहते हैं कि ”यजुर्वेद के इस (निम्न) मंत्र से दूर्वा के पोरों की 10 हजार आहुतियाँ देकर होता (यज्ञ में आहुति देने वाला व्यक्ति या यज्ञ कराने वाला पुरोहित) ग्राम या राष्ट्र में फैली हुई महामारी को शांत करे । इससे रोग-पीड़ित मनुष्य रोग से और दुःखग्रस्त मानव दुःख से छुटकारा पाता है ।
काण्डात्काण्डात्प्ररोहन्ती परुषः परुषपरि ।
एवा नो दूर्वे प्रतनु सहस्रेण शतेन च ।। (यजुर्वेदः अध्याय 13, मंत्र 20)
विद्यालाभ व अद्भुत विद्वता की प्राप्ति का उपाय
‘ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं वाग्वादिनी सरस्वति मम जिह्वाग्रे वद वद ॐ ऐं ह्रीं श्रीं क्लीं नमः स्वाहा ।’ इस मंत्र को इस वर्ष गुजरात और महाराष्ट्र को छोड़कर भारतभर के लोग 8 जून को दोपहर 1-45 से रात्रि 11-45 बजे तक तथा केवल गुजरात और महाराष्ट्र के लोग 5 जुलाई को रात्रि 11-02 से 11-45 बजे तक या 6 जुलाई को प्रातः 3 बजे से रात्रि 11-12 बजे तक 108 बार जप लें फिर मंत्रजप के बाद उसी दिन रात्रि 11 से 12 बजे के बीच जीभ पर लाल चन्दन से ‘ह्रीं’ मंत्र लिख दें । जिसकी जीभ पर यह मंत्र इस विधि से लिखा जायेगा उसे विद्यालाभ व अद्भुत विद्वत्ता की प्राप्ति होगी ।
कर्ज निवारक कुंजी
प्रदोष व्रत यदि मंगलवार के दिन पड़े तो उसे ‘भौम प्रदोष व्रत’ कहते हैं । मंगलदेव ऋणहर्ता होने से कर्ज निवारण के लिए यह व्रत विशेष फलदायी है । भौम प्रदोष व्रत के दिन संध्या के समय यदि भगवान शिव एवं सद्गुरुदेव का पूजन करें तो उनकी कृपा से जल्दी कर्ज से मुक्त हो जाते हैं । पूजा करते समय यह मंत्र बोलें-
मृत्युञ्जय महादेव त्राहि मां शरणागतम् ।।
जन्ममृत्युजराव्याधिपीडितं कर्मबन्धनैः ।।
इस दैवी सहायता के साथ स्वयं भी थोड़ा पुरुषार्थ करें ।
(इस वर्ष ‘भौम प्रदोष व्रत’ 5 व 11 मई तथा 15 व 21 सितम्बर को है ।)
सुख-शांति व धनवृद्धि हेतु
सफेद पलाश के एक या अधिक पुष्पों को किसी शुभ मुहूर्त में लाकर तिजोरी में सुरक्षित रखने से उस घर में सुख-शांति रहती है, धन आगमन में बहुत वृद्धि होती है ।
संकटनाशक मंत्रराज
नृसिंह भगवान का स्मरण करने से महान संकट की निवृत्ति होती है । जब कोई भयानक आपत्ति से घिरा हो या बड़े अनिष्ट की आशंका हो तो भगवान नृसिंह के इस मंत्र का अधिकाधिक जप करना चाहिए ।
ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम् ।
नृसिंह भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमाम्यहम् ।।
पूज्य बापू जी के सत्संग में आता है कि “इस विशिष्ट मंत्र के जप और उच्चारण से संकट की निवृत्ति होती है ।
तो कल्पनातीत मेधाशक्ति बढ़ेगी-पूज्य बापू जी
नारद पुराण के अनुसार सूर्यग्रहण और चन्द्रग्रहण के समय उपवास करे और ब्राह्मी घृत को उँगली से स्पर्श करे एवं उसे देखते हुए ‘ॐ नमो नारायणाय’ । मंत्र का 8000 (80 माला) जप करे । थोड़ा शांत बैठे । ग्रहण समाप्ति पर स्नान के बाद घी का पान करे तो बुद्धि विलक्षण ढंग से चमकेगी, बुद्धिशक्ति बढ़ जायेगी, कल्पनातीत मेधाशक्ति, कवित्वशक्ति और वचनसिद्धि (वाक् सिद्धि) प्राप्ति हो जायेगी ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद अप्रैल मई 2020, पृष्ठ संख्या 48,49 अंक 328-329
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