प्रश्नः ‘यह लड़का महान बनेगा, यह लड़की महान बनेगी’ – इसकी पहचान क्या ?
पूज्य बापू जीः जो थोड़ी-थोड़ी बातों में… लॉलीपॉप, चॉकलेट या कोई अच्छी चीज दो और ज्यादा खुश हो जाय अथवा थोड़ा सा दुःख दो और ज्यादा दुःखी हो जाय वह बिल्कुल छोटा रहेगा लेकिन जो मीठी-मीठी, अच्छी चीज पाकर भी ज्यादा लोलुप नहीं होता और दुःख पा के घबराता नहीं वह महान बनता है । जो डरता है वह मरता है, जो डरता नहीं है वह अपना रास्ता निकालता है और पवित्र रहता है, वही निर्भय रहता है ।
जो लड़का अपनी बराबरी की बच्चियों को बहन मानता है, बड़ी कन्याओं को बड़ी बहन या माता तुल्य मानता है, जो लड़की अपने सहपाठी भाइयों में पवित्र बुद्धि रखती है और फिल्म-विल्म नहीं देखती है या फिल्म जैसे फैशन-वैशन के चक्कर में नहीं है वह कन्या महान सकती है, वह लड़का महान बन सकता है ।
‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’ पुस्तक तुमको कम-से-कम जितने साल तुम्हारी उम्र है उतनी बार पढ़नी चाहिए । जो 12 साल का है वह 12 बार पढ़े रोज़ थोड़ा-थोड़ा करके । 15 साल का है तो 15 बार पढ़े और 25 साल का है तो 25 बार पढ़े, धीरे-धीरे ही सही । देखो फिर क्या शक्ति आती है ! ‘दिव्य प्रेरणा प्रकाश’, ‘पुरुषार्थ परमदेव’ और ‘जीवन रसायन’ ये 3 पुस्तकें तो छोटे-से-छोटे, बीमार-से-बीमार और कमजोर-से-कमजोर व्यक्ति को भी देर सवेर तंदुरुस्त, बलवान, हिम्मतवान और महान बना देंगी । (ये पुस्तकें संत श्री आशाराम जी आश्रमों में व समितियों के सेवाकेन्द्रों से प्राप्त की जा सकती हैं । – संकलक)
स्रोतः ऋषि प्रसाद, अक्तूबर 2020, पृष्ठ संख्या 34 अंक 334
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