गुरुजी ने बच्चों से पूछाः “सूरज और चंदा क्या नहीं देख सकते ? सूरज और चंदा का प्रकाश सब जगह घुस जाता है । तो ऐसी कौन-सी चीज है जो सूरज और चंदा नहीं देख सकते ?”
कुछ बच्चों ने कहाः “पाप को नहीं देख सकते ।”
गुरु जीः “देख सकते हैं ! क्योंकि बुद्धि का अधिष्ठान सूर्य-तत्त्व है । नेत्र का स्वामी सूर्य है और मन का अधिष्ठान चन्द्र है ।”
कुछ बच्चों ने कुछ उत्तर दिये किंतु उनके उत्तर से गुरु जी संतुष्ट नहीं हुए ।
एक गुरुमुख लड़का था, जिसने सारस्वत्य मंत्र लिया था और उसका रोज जप करता था । वह बोलाः “हाँ गुरुजी ! सूरज और चंदा एक चीज नहीं देख सकते ।”
“कौन-सी ?”
“अंधकार को नहीं देख सकते ।”
“ऐ ! शाबाश है !”
स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2020, पृष्ठ संख्या 19 अंक 335
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