सद्गुरु के शब्दमात्र से उद्धार होता है – संत दादू दयालजी

सद्गुरु के शब्दमात्र से उद्धार होता है – संत दादू दयालजी


सद्गुरु के चरणों में सिर नवाकर अर्थात् उनकी शरण में रहने एवं भगवन्नाम का उच्चारण व जप करते रहने से प्राणी दुस्तर संसार से  पार हो जाता है । वह अनायास ही अष्टसिद्धि, नवनिधि और अमर-अभय पद को प्राप्त कर लेता है । उसे भक्ति-मुक्ति सहज में ही प्राप्त हो कर वह वैकुंठ को (यहाँ वैकुंठ अर्थात् अंकुठित मतिवाला अवस्था को) प्राप्त हो जाता है और अमरलोक की प्राप्ति (जीवन्मुक्ति) के फल को उपलब्ध हो जाता है ।

उसे धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष – ये चारों मंगलमय पुरुषार्थ हस्तगत हो जाते हैं क्योंकि प्रभु के तो सभी वस्तुओं के भंडार भरे हैं फिर उनके भक्त को क्या नहीं मिलेगा ? जो तेजस्वरूप हैं, जिनकी स्वरूप-ज्योति अपार है उन्हीं सृष्टिकर्ता प्रभु के स्वरूप में, सद्गुरु-चरणों में मस्तक रखकर तथा भगवन्नाम-चिंतन करके ही हम अनुरक्त हुए हैं ।

जो सद्गुरु-शब्दों में मन लगाकर रहा है उसका हृदय सद्गुरु-शब्दों से वेधा गया है और जो उन शब्दों के द्वारा एक परमात्मा के भजन में लगता है वही जन अहंकारादि वक्रता को त्याग के सरल-स्वभाव बनता है । उसके हृदय पर शब्द की ऐसी मार्मिक चोट लगती है कि वह अपने तन-मन आदि सभी को भूल जाता है और अपने आत्मा के मूल परब्रह्म को अभेदरूप से जान के जीवन्मुक्त हो के जीते जी मृतकवत (अर्थात् संसार के राग-द्वेष, हर्ष-शोक आदि से उदासीन) होकर रहता है । वह अति मधुर चेतनरूप महारस को चित्त से कभी नहीं भूलता । इस प्रकार जिसने निरंजनस्वरूप के बोधक सद्गुरु-शब्दों को ग्रहण किया है उसने परब्रह्म का साक्षात्कार किया है । सद्गुरु के एक शब्द से जिज्ञासु-जन का उद्धार हो जाता है । जिन्होंने एकाग्र मन से सद्गुरु शब्द सुने हैं वे अनायास ही अज्ञान-निद्रा से जगह हैं । जब भी जो श्रद्धासहित गुरु के सम्मुख बैठ के सुनते हैं तब कान के द्वारा गुरुशब्द-बाण जाकर हृदय में लगता है और वे निरंतर अपनी वृत्ति को भीतर एक परब्रह्म में ही अनुरक्त करके रहते हैं । जो सद्गुरु-शब्दों में लगकर परमात्मा के सम्मुख रहते हैं वे संसार-दशा से आगे बढ़कर वर्तमान शरीर में ही देखते-देखते अविनाशी ब्रह्म में अभेदरूप से संलग्न हो के मुक्त हो गये हैं ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, जून 2021, पृष्ठ संख्या 5 अंक 342

ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *