अपना पतन नहीं चाहते तो छोरी का साथ छोड़ दो – डॉ. प्रेमजी

अपना पतन नहीं चाहते तो छोरी का साथ छोड़ दो – डॉ. प्रेमजी


राहुल दोषी, मिहिर खर, भ्रम भ्रम ठाकुर, विद्वेष पटेल, और दुसरे जो भी मेरे गुरुदेव से दीक्षा लिए हुए है और जो बाहर या आश्रम में रहकर भी आश्रम के विरुद्ध प्रवृत्ति करनेवाली छोरी का सहयोग करते है वे अब भी चाहे तो उपरोक्त दुर्गति से अपनी रक्षा कर सकते है । अगर कुछ धन के लोभ से वे कृतघ्नता का पाप करते रहेंगे तो उनकी रक्षा कोई नहीं कर सकेगा । अगर वे भारती का घोर पतन नहीं चाहते हो, उसको तनावमुक्त रोगमुक्त देखना चाहते हो, अगर आप आनेवाले भयंकर विपत्ति काल में अपनी रक्षा चाहते हो, अपना किया हुआ गुरुसेवा, साधन भजन, सत्कर्म आदि नाली में बहाना नहीं चाहते हो तो भारती का अंधा समर्थन और भक्ति छोड़ दो। जिन महान गुरु की शरण और एकनिष्ठ भक्ति को छोड़कर तुमने इस अपूजनीय की शरण ली है उन महान गुरु से क्षमा मांग लो और की हुई गलती को कभी न दुहराने की प्रतिज्ञा ले लो। अगर आपने अपने पूजा घर में अपने गुरुदेव के श्री चित्र के साथ आसुरी माया के चित्र भी लगा रखे हो चाहे वे किसी भी गुरु के हो, तो उनको हटा दो। अगर आप ब्रह्मनिष्ठ गुरु के सत्संग को सुनने के बदले आसुरी माया के प्रवचन सुनने लगे हो तो उसको छोड़कर फिर से अपने गुरुदेव के सत्संग को सुनना शुरू कर दो, अगर आप अपने गुरदेव से प्राप्त गुरु मन्त्र को छोड़कर किसी आसुरी माया से मिले हुए मन्त्र का जप करते हो तो उस मन्त्र को त्याग दो और अपने गुरुमंत्र को जपना शुरू कर दो। अगर आप ब्रह्मनिष्ठ गुरु की अमृतवाणी से ओतप्रोत मासिक पत्रिकाओं को छोड़कर किस आसुरी माया की पत्रिकाको पढने लगे हो तो उस पत्रिका को त्यागकर ब्रह्मनिष्ठ सतगुरु की पत्रिका को पढ़ना शुरू कर दो। अगर आप अपने सतगुरु की संस्था को दान देना बंद करके किसी आसुरी माया को दान देते हो तो वह दानकर्म छोड़ दो। अपने गुरुदेव की संस्था के सेवाकार्यों में अपने तन, मन और धन को यथा शक्ति लगाओ। अगर आपने अपने गुरुदेव की शरण छोड़कर किसी आसुरी माया की शरण ले ली हो तो उस माया के चक्कर को छोड़कर कृपालु गुरुदेव से क्षमा मांग लो। अब भी वे आपको क्षमा कर सकते है। अगर आप कृपालु गुरुदेव के आश्रम में समर्पित साधक या साध्वी होकर रहते हो और गुरुद्रोही आसुरी माया के दर्शन और प्रवचन सुनने जाते हो तो यह पाप कर्म, व्यभिचारी भक्ति छोड़ दो, अपने गुरुदेव के श्री चित्र के ही दर्शन करो, उनका ही सत्संग सुनो और सच्चे ह्रदय से गुरुदेव से पूर्व में किये हुए ऐसे पापों के लिए क्षमा मांग लो। अब समय बहुत कम बचा है।  यह सब मैंने भारती और उनके द्वारा गुमराह किये गए मेरे गुरुदेव के शिष्यों के हित की भावना से लिखा है। अगर वे आनेवाले विपत्ति काल में अपनी सुरक्षा चाहते हो तो वे इन शास्त्र सम्मत विचारों का अनुमोदन और पालन करे और अपना सर्वनाश ही चाहते हो और भारती को भी घोर पतन की खाई में गिराना चाहते हो तो उनकी मर्जी। मेरा कोई आग्रह नहीं है।

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