डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -6

डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -6


आप लिखते हो आज आप लोगो के यह हाल है तो प्रभुजी के avgarna के कारण है”

प्रभुजी हमारे गुरु नहीं है, उनको ये आशा नहीं रखनी चाहिए कि जो उनके शिष्य नहीं है वे उनके मार्ग दर्शन में चले. तथाकथित प्रभुजी तो क्या वैकुंठवासी प्रभुजी की भी हम अवगणना (अवहेलना) कर देंगे अगर वे हमें हमारे गुरु के आदेश के खिलाफ कार्य करके हमारे हाल सुधारने की सिख देंगे तो. गुरु के आदेश के अनुसार हम नरक में भी जाने को तैयार है, और प्रभुजी जैसे लोगों की कृपा से हमें स्वर्ग मिलता हो तो उसको हम ठुकरा देंगे. जिस हाल में हमें गुरुदेव रखते है वह हमारे लिए स्वर्ग से भी उत्तम है, इसलिए प्रभुजी हमारे हाल की चिंता छोड़कर अपना हाल सुधारे.

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