डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -7

डॉ प्रेमजी के पत्र के जवाब का खंडन -7


आपने आगे लिखा है “औरा की मसीन तो आजकल नकली होती है आप अंदर की औरा देखो प्रभुजी की।“

  किसने कहा कि Kirlian Photography की machine नकली होती है? रूस और चीन में अनेक मेडिकल डॉक्टर भी उस का उपयोग करते है मरीज के निदान के लिए. जैसे X Ray machine हड्डी के टूटी हाई या नहीं यह बताती है वैसे ही यह मशीन प्राणमय कोष, मनोमय कोष, कुण्डलिनी के चक्रों का विकास आदि की स्थिति बता देती है. यह एक विज्ञान है.

जैसे हड्डियों भीतर ही होती है वैसे औरा भीतर की ही होती है. सब गुरुओं की शिष्यों को उनकी भावना से उनके गुरु में दिव्य औरा दिखती है. हिरण्यकशीपु और रावण के चाटुकारों को भी उनके राजा में दिव्य आभा दिखती थी. और ओशो जैसे व्यभिचारी गुरु के शिष्यों को भी उन में दिव्य आभा दिखती होगी. पर सत्य का निर्णय भावना से नहीं होता, प्रमाण से होता है. ऐसे ५०० से ज्यादा प्रसिद्द महात्माओं की औरा का अध्ययन डॉ. हीरा तापरिया ने किया यह जानने के लिए कि सब के शिष्य बोलते है कि उनके गुरु सबसे बड़े है, उनकी औरा कितनी विकसित है, पर वास्तव में कौन बड़े है, किसकी औरा कितनी विकसित है ? उनको अध्ययन करने के बाद कहना पडा कि मेरे गुरुदेव की औरा सब से अधिक विकसित है, तब उन्होंने भावना से हटकर विज्ञान के आधार पर उनकी श्रेष्ठता की घोषणा की. वैसे तो सब माता पिता को अपने बेटे सब से बुद्धिमान दीखते है, पर वास्तव में कौन बुद्धिमान है यह जाने के लिए IQ test लिया जाता है. तब मालूम पड़ता है कि कौन सचमुच बुद्धिमान है. अगर कोई लड़का कहे कि IQ test तो झूठा होता है तो वह बुद्धू ही है क्योंकि वह अपनी बुद्धुपने की पोल खुल न जाए इसलिए उस टेस्ट से बचना चाहता है. ऐसा ही हाल आपके प्रभुजी का है.

अगर उनमें हिम्मत हो तो जांच कराके देख लो कि उनके कितने चक्र कितने विकसित है और उसके आधार पर अगर आप यह सिद्ध कर सको कि उनकी औरा मेरे गुरुदेव जितनी ही विकसित है तभी हम मान सकते है कि उनके पास वही माल मिलता है जो बापूजी के पास मिलता था. चाटुकारों की तालियों से उनकी बात की सत्यता प्रमाणित नहीं होती. भ्रष्टाचारी नेताओं को के चाटुकार भी उनको इमानदार मानते है.

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