वाणी में विनय, हृदय में धैर्य, शरीर में वीर्य, हाथ में सत्कर्म व दान एवं मन में प्रभु का ज्ञान और भगवन्नाम हो । आप लोग इन 5 बातों को पकड़ लो । मैं हाथ जोड़ के प्रार्थना करता हूँ, आज से पक्का करो कि इन 5 बातों को जीवन में लायेंगे ।
1 आपकी वाणी में विनय हो
ऐसी वाणी बोलिये, मन का आपा खोय ।
औरन को शीतल करे, आपहूँ शीतल होय ।।
जिसकी वाणी और व्यवहार में तू-तड़ाका है, उद्धतपना है, अभद्रता है उसका किया-कराया चौपट हो जाता है । यह मिटाना चाहते हो तो मधुर व्यवहार नाम की पुस्तक ( यह पुस्तक आश्रमों सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से व समितियों से प्राप्त हो सकती है । ) पढ़ा करो रोज 2-4 पन्ने । वाणी में भगवान का नाम भी हो ।
2 हृदय में धैर्य हो ।
जरा-जरा सी बात में घबरा न जाओ, जरा-जरा सी बात में विह्वल न हो जाओ, जरा-जरा सी बात में आपे से बाहर न हो जाओ । धीरज सबका मित्र है ।
बहुत गयी थोड़ी रही, व्याकुल मन मत हो ।
धीरज सबका मित्र है, करी कमाई मत खो ।।
3 शरीर में वीर्य, बल व संयम हो… किसी लड़की को, लड़के को, किसी की पत्नी या किसी के पति को गलत नज़र से देखने की लोगों की आजकल नीच वृत्ति बढ़ गयी है । शरीर में वीर्य इन्द्रिय-संयम से आयेगा, क्या खाना-क्या न खाना यह ध्यान रखने से आयेगा ।
4 हाथ में दान-सत्कर्म हो । धन का दान, अन्न का दान, वस्तु का दान… इतना ही नहीं सेवा करते हैं, सत्कर्म करते हैं तो वह भी तो दान है – ‘श्रमदान’ ।
5 मन में, अंतःकरण में उस प्यारे प्रभु की स्मृति और नाम हो, उसका ज्ञान हो, इससे आपका तो मंगल होगा, आपके सम्पर्क में आने वाले का भी मंगल हुए बिना नहीं रहेगा ।
…मंङ्गलायतनं हरिः ।
सर्वमङ्गलमाङ्गल्ये…
सब मंगलों का मंगल है भगवान की स्मृति । मेटत कठिन कुअंक भाल के… उस प्यारे की स्मृति भाग्य के कुअंक मिटा देती है । और
तुलसी अपने राम को रीझ भजो या खीज ।
भूमि फेंके उगेंगे उलटे सीधे बीज ।।
खेत में बीज कैसे भी फेंको – नाराज होकर फेंको, राजी हो के फेंको, जैसे भी फेंकोगे वे उगेंगे । ऐसे ही भगवान का प्रेम से, नाराजगी से जैसे भी सुमिरन करोगे, मंगल ही मंगल होगा ।
…मंङ्गलानां च मंङ्गलम् ।
भगवत्सुमिरन से बड़ा मंगल होगा, तेजी से मंगल होगा । और जो दोष हैं वे सामने लाकर ईश्वर को, गुरु को प्रार्थना करो कि ‘इन दोषों से अब हम अपने को बचायेंगे ईश्वर की, गुरु की कृपा मान के ।’ समझो काम-विकार है तो काम-विकार का सुमिरन करके ‘ॐॐॐॐ अर्यमायै नमः, ॐ अर्यमायै नमः, ॐ अर्यमायै नमः…’ का जप करते हुए भ्रूमध्य में – जहाँ शिवनेत्र हैं वहाँ ध्यान करो, काम की वासना जल जायेगी । क्रोध का विकार है तो ‘ॐ शांति… प्रभु जी शांति… धैर्य…’ ऐसा चिंतन करो ।
तुम कितने भी गिरे हुए हो, बिगड़े हो, चिंता मत करो, इन 5 चीजों का आदर करोगे तो तुम आदरणीय हो जाओगे । तुम्हारा तो मंगल होगा, तुम्हारे को जो प्रेम से देखेंगे-सुनेंगे उनका भी मंगल, कल्याण हो जायेगा । ये 5 चीजें आज पकड़ लो और आज से शुरु कर लो थोड़ी-बहुत, सुमिरन तो कर ही सकते हो, धैर्य तो कर ही सकते हो । इससे तुम्हारा तो मंगल होगा, तुम्हारे को छूकर जो हवाएँ जायेंगी न, वे जहाँ जायेंगी वहाँ के लोगों को, घर-परिवार को पावन कर देंगी क्योंकि भगवान का सुमिरन करना और संयमी, वीर्यवान होना मंगलों का मंगल है ।
स तरति लोकांस्तारयति ।
‘वह तर जाता है और दूसरों को भी तारता है ।’ ( नारदभक्ति सूत्रः 50 )
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मई 2022, पृष्ठ संख्या 4, 5 अंक 353
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