मैं और मेरी धर्मपत्नी बापू जी से दीक्षित हैं । विवाह के बाद हम गुरुदेव द्वारा बताये गये संयम-संबंधी नियमों का पालन व दिव्य शिशु संस्कार पुस्तक का पठन आदि करते थे । पूज्य बापू जी की कृपा से 2014 में हमारे घर एक बालक का जन्म हुआ, जिसका नाम ‘पार्थ’ रखा । हम पार्थ को आश्रम लेकर जाते, बड़दादा की परिक्रमा करवाते, बापू जी का सत्संग श्रवण करवाते । 4 वर्ष की उम्र से ही उसकी दिनचर्या अन्य बच्चों से विलक्षण रही, जैसे ब्राह्ममुहूर्त में उठना, सूर्यदेव को अर्घ्य देना, भ्रामरी प्राणायाम, गुरुदेव की पूजा-वंदना, तुलसी-सेवन करना आदि । गुरुदेव की कृपा से उसकी स्मरणशक्ति व मेधाशक्ति इतनी सुविकसित हुई कि भूगोल व विज्ञान जैसे गहन विषयों का भी वह जो पढ़ता वह उसे एक-दो बार में ही याद हो जाता । उसकी योग्यताओं का ऐसा विकास हुआ कि भारत ही नहीं, विश्वस्तर पर उन्हें सराहा जा रहा है । अभी उसकी उम्र 8 वर्ष है और गुरुकृपा से वह कई उपलब्धियाँ हासिल कर चुका हैः इंटरनेशनल बुक ऑफ रिकॉर्डस द्वारा अति प्रतिभाशाली बालक पुरस्कार दिया गया । विज्ञान श्रेणी में ‘विलक्षण बालक पुरस्कार 2022’ के लिए चयनित हुआ । इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डसः 2 मिनट 7 सेकेंड में यू.एस.ए. के सभी राज्यों को उसके मानचि6 पर पहचाना । 4 मिनट 56 सेकेंड में विश्व के मानचित्र पर 183 देशों को पहचाना । वर्ल्ड वाइड बुक ऑफ रिकॉर्डसः एशिया के मानचित्र पर उसके सभी देशों को पहचानने वाले सबसे कम उम्र के बच्चे का कीर्तिमान । 2 मिनट 52 सेकेंड में सौरमंडल के सभी ग्रहों का वर्णन करने वाले सबसे कम उम्र के बच्चे का कीर्तिमान । इतनी कम उम्र में मेरे बेटे की ऐसी योग्यताएँ विकसित हुई इसमें मेरी या मेरे बेटे की कोई चतुराई नहीं है, यह तो पूज्य बापू जी द्वारा बताये गये नियमों के पालन का एवं उनके आशीर्वाद का परिणाम है । ऐसे परम कृपालु गुरुदेव के श्रीचरणों में साभार प्रणाम ! – डॉ. धर्मेन्द्र कटारिया सचल दूरभाषः 8982619878 स्रोतः ऋषि प्रसाद, नवम्बर 2022, पृष्ठ संख्या 19 अंक 359 ॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐॐ