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विजातीय द्रव्यों को करें दूर पायें स्वास्थ्य लाभ भरपूर – पूज्य बापूजी



पेट साफ करने का अक्सीर इलाज यह है कि रात्रि को सोने से
पहले त्रिफला टेबलेट हलके गुनगुने पानी से लें, नहीं तो ऐसे ही चूस लें
– जिसको जितनी, जैसी अनुकूल पड़ें । मस्से (बवासीर) हों, पेट साफ
नहीं हो रहा हो तो रात को 2 टेबलेट ले लीं और फिर सुबह 2 ले लीं ।
आधे पौने घंटे में तो वे पेट की सफाई करके मस्से के जो भी दोष हैं
उन्हें कुछ ही दिन में साफ कर देंगी । किंतु केवल मस्से मिटाने के लिए
त्रिफला नहीं है, यह तो हमारे शरीर के समस्त हानिकारक द्रव्यों को ढूँढ
के निकाल देता है ।
एक मंत्री आता था मेरे पास । उसने एक बार मेरे से पूछाः “मैं
आपको कितने साल का लगता हूँ ?”
मैंने 40 से 50 के बीच का अनुमान लगाया ।
वह बोलाः “नहीं, मैं 65 साल का हूँ लेकिन लगता हूँ न 40 – 50
का !”
मैंने कहाः “इसका क्या कारण है ?”
बोलाः “मैं रोज त्रिफला लेता हूँ ।”
तो त्रिफला का उसको बड़ा अनुभव था । मेरे को भी बड़ा अनुभव
है । मेरे को मस्से हो गये थे तो त्रिफला लिया तो सब गायब हो गये ।
अब भी मस्से-वस्से जैसा कुछ उभरता है तो त्रिफला ले लेता हूँ तो दूसरे
दिन सब गायब ! तो ऋषि प्रसाद वालों को यह कुंजी मिल गयी । किसी
को मस्से हों तो बस, त्रिफला दे दो और यह प्रयोग बता दो, वह ठीक हो
जायेगा ।

त्रिफला से पेट की समस्त तकलीफें दूर हो जाती हैं । आलू-वालू
खाने से आगे चल के जो भयंकर टयूमर, हार्ट अटैक, ब्रेन टयूमर होने
वाला होता है वह भी हमारे सम्पर्कवालों को नहीं होगा क्योंकि मैंने उन्हें
त्रिफला की कुंजी दे दी है ।
मैंने भी तो आलू खाये हुए थे लेकिन मैंने आलू के दुष्प्रभाव को दूर
करने के लिए अंग्रेजी दवाइयों के साइड इफेक्ट्स को भगाने के लिए
त्रिफला रसायन के 40 दिन के 2 कल्प किये थे । अच्छा हुआ साइड
इफेक्ट हुआ एलोपैथी से, उसे दूर करने के लिए मैंने त्रिफला रसायन का
प्रयोग किया तो उससे मेरा सारा शरीर एकदम धुल गया, शुद्ध हो गया

(त्रिफला चूर्ण, त्रिफला रसायन (सादा व स्पेशल), त्रिफला टेबलेट –
ये संत श्री आशाराम जी आश्रमों में सत्साहित्य सेवा केन्द्रों से तथा
समितियों से प्राप्त हो सकते हैं ।)
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, पृष्ठ संख्या 31 अंक 363
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सज्जनों की सक्रियता ने किया साजिश को विफल



चैतन्य महाप्रभु के एक शिष्य श्रीनिवास पंडित के घर भगवन्नाम-
संकीर्तन हमेशा दरवाजा बंद करके ही होता था । ईर्ष्या व द्वेष से भरे
कुछ लोग वहाँ आते और किवाड़ों को बंद देखकर भगवन्नाम-संकीर्तन
की निंदा करते हुए लौट जाते । उनमें गोपाल चापाल नाम का एक
व्यक्ति था । उसने इन भक्तों की झूठी बदनामी करने के लिए एक
षड्यंत्र रचा ।
एक रात्रि में जब श्रीनिवास पंडित के घर में संकीर्तन हो रहा था
तब चापाल उनके घर पहुँचा और उसने द्वार के सामने थोड़ी सी जगह
लीपकर वहॉँ चंडी पूजा की सारी सामग्री रख दी । शराब व मांस का
एक-एक पात्र रख के चला गया । दूसरे दिन जब भगवन्नाम-संकीर्तन
करके भक्त निकले तो यह सामग्री देख आश्चर्य से भर गये ।
उसी समय दुर्जनों-निंदकों का भी दल आ गया और वे एक दूसरे
को कहने लगेः “हम तो पहले ही जानते थे कि ये रात्रि में किवाड़ बंद
करके और स्त्रियों को साथ ले के जोरृ-जोर से हरिनाम की ध्वनि करते
हैं और भीतर ही भीतर वाममार्ग की पद्धति से भैरवी का पूजन करते हैं
। यह सामने चंडी पूजा की सामग्री प्रत्यक्ष ही देख लो !”
भक्तों ने उस सामान को उठा के दूर फेंक दिया और उस स्थान
को गाय के गोबर से लीपा तथा गंगाजल छिड़क के शुद्ध कर लिया ।
तत्कालीन समाज के सज्जन लोग बड़े सजग, सूझबूझ-सम्पन्न
और सुसंगठित थे । वे समझ गये कि यह किसी धूर्त की करतूत है । वे
जानते थे कि दुर्जनों द्वारा सज्जनों-भक्तों का किया जा रहा कुप्रचार
तथा साजिशें मूक बनकर सहन करते हैं तो वे बढ़ती ही जाती हैं और
इससे बहुत बड़े स्तर पर समाज की हानि होती है । अतः सज्जनों का

सजग व सक्रिय रहना, सत्य के समर्थन में सुसंगठित होकर आवाज
उठाना और संगठन बल बनाये रखना बहुत जरूरी है । उन्होंने एकत्र
होकर विचार विमर्श किया और ढिंढोर पिटवा दिया कि ‘दोबारा ऐसा हुआ
तो उस धूर्त की खबर ली जायेगी ?”
चापाल दुबक के बैठ गया । उसने सोचा, ‘अच्छा हुआ मैं बच गया
।! अन्यथा तो मेरी ही बुरी स्थिति हो जाती ।’ फिर क्या था, ऐसी
हरकत दोबारा करने का विचार भी कभी उसके मन में नहीं आया ।
इस घटना से समाज में श्रीनिवास पंडित की अपकीर्ति होने के
बजाय और अधिक कीर्ति फैल गयी । सज्जनों का मनोबल बढ़ गया,
दुर्जनों का मनोबल घट गया लेकिन भक्त श्रीनिवास पंडित इन सबसे
अप्रभावित थे । वे तो अपने भगवन्नाम-संकीर्तन में, भग्वद्ज्ञान,
भगवद्रस, भगवच्चिंतन में सराबोर रहते थे ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, पृष्ठ संख्या 8 अंक 363
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महापुरुषों के जीवन से तुम प्रेरणा पाकर महान हो जाओ – पूज्य बापू जी



प्यारे विद्यार्थियों ! जो भी संत-महात्मा, महापुरुष, अच्छे ईमानदार
सज्जन और समाज के अग्रणी हुए हैं, वे पहले तुम्हारे जैसे बालक ही थे
। परंतु उन्होंने दृढ़ संकल्प, पुरुषार्थ और संयम का अवलम्बन लेकर
अपने व्यक्तित्व को निखारा और वे आज लाखों के प्रेरणास्रोत बन गये
। महापुरुषों के मार्गदर्शन में चलकर व उनके दिव्य जीवन से प्रेरणा पा
के तुम भी महान हो जाओ ।
संसार में ऐसी कोई वस्तु या स्थिति नहीं है जो संकल्पबल और
पुरुषार्थ के द्वारा प्राप्त न हो सके । पूर्ण उत्साह और लगन से किया
गया पुरुषार्थ भी व्यर्थ नहीं जाता ।
स्रोतः ऋषि प्रसाद, मार्च 2023, पृष्ठ संख्या 19 अंक 363
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