डीसा (गुजरात) की रहने वाली भगवती बहन पागरानी (वर्तमान निवास – अहमदाबाद), जिनको 6-7 साल की उम्र से ही पूज्य बापू जी के सत्संग एवं सेवा का सौभाग्य मिला है, वे उन परम सौभाग्यशाली क्षणों को याद करते हुए पूज्य श्री के मधुर, प्रेरणादायी प्रसंग बताते हुए कहती हैं- जब पूज्य बापू जी डीसा के आश्रम में एकांत-सेवन करते थे तब मुझे और मेरे भाई को कई बार पूज्य श्री के लिए दूध पहुँचाने का सौभाग्य मिला है ।
एकांतवास के दौरान पूज्य बापू जी डीसा में सुबह-शाम सत्संग करते थे, खूब ध्यान कराते थे और आध्यात्मिक शक्ति का सम्प्रेषण करते थे । उस समय घंटों की ध्यान-समाधि के बाद जब बापू जी लोगों के बीच आते थे तब उनके मुखमंडल पर ऐसा अलौकिक तेज प्रतीत होता था कि कोई उनकी आँखों की ओर देख नहीं सकता था ।
एक दिन बापू जी ने सुबह-सुबह ऐसा शक्तिपात किया कि सबका ध्यान लग गया । एक लड़का तो ईश्वरीय मस्ती में नाचता-नाचता सीढ़ी पर चढ़ गया और तीसरे चौथे पायदान पर जाकर बैठ गया । उसे तब अपने शरीर का और बाहरी दुनिया का भी भान नहीं था ।
बापू जी ने लोगों से कहाः ″तुमको जो कुछ भी पूछना है वह इससे पूछ लो ।″
लोग जो भी प्रश्न करते, सबका सही उत्तर वह देता जा रहा था !
एक भाई ने प्रश्न कियाः ″मेरे दादा जी, जो मर गये हैं वे अभी कहाँ हैं ?″
लड़के ने बताया कि सामने चले जाओ, वहाँ एक वृक्ष है । उसकी अमुक डाल पर अमुक दिशा में एक कौआ बैठा है । वही उनके दादा जी हैं ।
लोगों ने वहाँ जाकर देखा तो सच में वहाँ एक कौआ बैठा हुआ मिला । उस लड़के की आँखें बंद थीं और जहाँ सब बैठे थे वहाँ से वह पेड़ भी नहीं दिख रहा था । फिर तो ऐसा वातावरण बन गया था कि सब लोग उस लड़के से अपने-अपने प्रश्न पूछने लगे और वह सबके उत्तर देता रहा कि ‘यह बात ऐसी है… यह ऐसा-ऐसा है…’ आदि-आदि । ऐसा लगभग डेढ़ घंटे तक चला, फिर वह लड़का सामान्य स्थिति में आया ।
फिर तो सब नतमस्तक हो गये कि ‘जिनके शक्तिपात से एक साधारण-सा लड़का ध्यानस्थ होकर इस लोक और परलोक तक की बातें बता रहा है, वे महापुरुष कितने महान होंगे !’
स्रोतः ऋषि प्रसाद, जुलाई 2022, पृष्ठ संख्या 21, अंक 355
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