Tithi-Tyouhar

आपके जीवन में शिव-ही-शिव हो


आपके जीवन में शिव-ही-शिव हो (आत्मनिष्ठ पूज्य बापूजी की कल्याणमयी मधुमय वाणी) महाशिवरात्रि पर विशेष चार महारात्रियाँ हैं – जन्माष्टमी, होली, दिवाली और शिवरात्रि। शिवरात्रि को ‘अहोरात्रि’ भी बोलते हैं। इस दिन ग्रह-नक्षत्रों आदि का ऐसा मेल होता है कि हमारा मन नीचे के केन्द्रों से ऊपर आये। देखना, सुनना, चखना, सूँघना व स्पर्श करना- …

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आत्मशिव से मुलाकात


पूज्य संत श्री आशारामजी बापू शिवरात्रि का जो उत्सव है वह तपस्या प्रधान उत्सव है, व्रत प्रधान उत्सव है | यह उत्सव मिठाइयाँ खाने का नहीं, सैर-सपाटा करने का नहीं बल्कि व्यक्त में से हटकर अव्यक्त में जाने का है, भोग से हटकर योग में जाने का है, विकारों से हटकर निर्विकार शिवजी के सुख …

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नास्ति शिवरात्रि परात्परम्


पूज्य संत श्री आशारामजी बापू ‘स्कन्द पुराण’ में सूतजी कहते हैं- सा जिह्वा या शिवं स्तौति तन्मनो ध्यायते शिवम् | तौ कर्णौ तत्कथालोलौ तौ हस्तौ तस्य पूजकौ || यस्येन्द्रियाणि सर्वाणि वर्तन्ते शिवकर्मसु | स निस्तरति संसारे भुक्तिं मुक्तिं च विन्दति || ‘वही जिह्वा सफल है जो भगवान शिवजी की स्तुति करती है | वही मन …

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