निर्मल वैराग्य का स्वरूप – स्वामी अखंडानंद जी
जो ईश्वर की प्राप्ति चाहते हैं, आत्मतत्त्व का ज्ञान चाहते हैं उन्हेंजीवन में साधना की आवश्यकता होती ही है । जब तुम कहीं जानाचाहते हो तो जहाँ ठहरे हो उस स्थान और वहाँ की सुख-सुविधा का मोहतो छोड़ना ही पड़ता है । इसी प्रकार परमार्थ के पथ पर चलने के लिएसंसार का राग छोड़ ही …