वह मदिरापान करता है
स्त्रीपात्रभुंनरः पापः स्त्रीणामुच्छिष्टभुक्तथा ।।तया सह च यो भुंक्ते स भुंक्ते मद्यमेव हि ।न तस्य निष्कृतिर्दृष्टा मुनिभिस्तत्त्वदर्शिभिः ।।‘जो पापी स्त्री के भोजन किए हुए पात्र में भोजन करता है, स्त्रीका जूठा खाता है तथा स्त्री के साथ एक बर्तन में भोजन करता है, वहमानो मदिरा-पान करता है । तत्त्वदर्शी मुनियों ने उस पाप से छूटने काकोई …