सब रोगों में लाभकारी सर्वसुलभ महौषधि – पूज्य बापू जी
भगवन्नाम सहित हास्यमनुष्य के मन में 14 प्रकार की वृत्तियाँ होती हैं । उनमें 13 प्रकारकी वृत्तियाँ तो पशुओं में भी हैं परंतु 14वें प्रकार की हँसने की वृत्तिउनमें नहीं है । हास्य भी एक प्रकार की औषधि है । जो हँस नहींसकते, भगवत्सुमिरन करते समय हास्य नहीं कर सकते उनका यकृत(लिवर), पाचन-तंत्र और पेट …