365 ऋषि प्रसाद: मई 2023

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो, इसके बिना पूर्ण स्वस्थता सम्भव नहीं – पूज्य बापू जी


रोग दो शरीरों में होते हैं – बाह्य शरीर में और आंतरिक शरीर(मनःशरीर, प्राणशरीर) में । उपचार बाहरी शरीर के होते हैं और रोगमनःशरीर, प्राणशरीर में होते हैं । आंतरिक शरीर का इलाज नहीं हुआतो रोग पूर्णरूप से ठीक नहीं होता और लम्बे समय तक रहता है ।‘मलेरिया ठीक हो गया…’ फिर से मलेरिया हो …

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कौनसा सौंदर्य कल्याणकारी ? – पूज्य बापू जी


सौंदर्य की प्रति सहज ही आकर्षित होना मानव की स्वाभाविक वृत्तिहै किंतु सांसारिक सौंदर्य के प्रति आकर्षण भोगवृत्ति उत्पन्न करके कामके चंगुल में फंसाता है, जिसका फल दुःख, क्लेश और बंधन है कारणकि यह मोहजनित (अज्ञानजनित) है । अतः आकर्षण उस परमात्मा केप्रति ही होना चाहिए जिसकी रचना या कृति यह सांसारिक सौंदर्य है ।तब …

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गुरुभाई को सताना बना प्रतिबंधक प्रारब्ध – पूज्य बापू जी


अष्टावक्र मुनि ने राजा जनक को उपदेश दिया और उनकोआत्मसाक्षात्कार हुआ यह तो सुना-पढ़ा होगा लेकिन राजा जनक औरअष्टावक्र मुनि के पूर्वजन्म का वृत्तांत भी बड़ा रोचक और बोधप्रद है ।राजा जनक पूर्वजन्म में किन्हीं ऋषि के शिष्य थे । अष्टावक्र जीऔर जनक – दोनों गुरुभाई थे । अष्टावक्र जी को योग मार्ग में रुचि …

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