बाहरी शरीर के साथ आंतरिक शरीर की चिकित्सा करो, इसके बिना पूर्ण स्वस्थता सम्भव नहीं – पूज्य बापू जी
रोग दो शरीरों में होते हैं – बाह्य शरीर में और आंतरिक शरीर(मनःशरीर, प्राणशरीर) में । उपचार बाहरी शरीर के होते हैं और रोगमनःशरीर, प्राणशरीर में होते हैं । आंतरिक शरीर का इलाज नहीं हुआतो रोग पूर्णरूप से ठीक नहीं होता और लम्बे समय तक रहता है ।‘मलेरिया ठीक हो गया…’ फिर से मलेरिया हो …