आया, बैठा और पा के मुक्त हो गया – पूज्य बापू जी
एक दिन महात्मा बुद्ध अपनी झोंपड़ी के बाहर बैठे थे, उनकाशिष्य आऩंद अंदर था । एक व्यक्ति आया, बोलाः “भंते ! मैं आपकेपास वह बात सुनने को आया हूँ जो कही नहीं जाती, वह बात समझनेको आया हूँ जो समझायी नहीं जाती, मैं उसको जानने आया हूँ जिसकोजानने वाला स्वयं रहता नहीं ।”उसने अहोभाव से, …