स्वधर्मे निधनं श्रेयः
संत श्री आसारामजी बापू के सत्संग-प्रवचन से प्रत्येक मनुष्य को अपने धर्म के प्रति श्रद्धा एवं आदर होना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण ने भी कहा हैः श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुतिष्ठात्। स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।। ʹअच्छी प्रकार आचरण किये हुए दूसरे के धर्म से गुणरहित भी अपना धर्म अति उत्तम है। अपने धर्म में मरना भी कल्याणकारक …