210 ऋषि प्रसादः जून 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

राक्षस भी जिसे पसन्द नहीं करते


किसी के द्वारा की गयी भलाई या उपकार को न मानने वाला व्यक्ति कृतघ्न कहलाता है। ‘महाभारत’ में पितामह भीष्म धर्मराज से कहते हैं- “कृतघ्न, मित्रद्रोही, स्त्रीहत्यारे और गुरुघाती इन चारों के पाप का प्रायश्चित हमारे सुनने में नहीं आया है।” गौतम नाम का ब्राह्मण था। ब्राह्मण तो वह केवल जाति से था, वैसे एकदम …

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महेन्द्र चावला के आरोपों की हकीकत


निंदकों, कुप्रचारकों की खुल गयी पोल विदेशी षड्यंत्रकारियों का हत्था बनकर मीडिया में आश्रम के खिलाफ मनगढंत आरोपों की झड़ी प्रचारित करने वाले महेन्द्र चावला की न्यायाधीश श्री डी.के.त्रिवेदी जाँच आयोग के समक्ष पोल खुल गयी। चालबाज महेन्द्र ने वास्तविकता को स्वीकारते हुए उसने कहा कि मैं अहमदाबाद आश्रम में जब-जब आया और जितना समय …

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जल-सेवन विधि


हमारे शरीर में जलीय अंश की मात्रा 50 से 60 प्रतिशत है। प्रतिदिन सामान्यतः 2300 मि.ली. पानी त्वचा, फेफड़ों व मूत्रादि के द्वारा उत्सर्जित होता है। शरीर को पानी की आवश्यकता होने पर प्यास लगती है। उसकी पूर्ति के लिए जितना आवश्यक है, उतना ही पानी पीना चाहिए। उससे कम अथवा अधिक पानी पीना, प्यास …

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