210 ऋषि प्रसादः जून 2010

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

हृदयकोष की रक्षा करो – पूज्य बापू जी


काम, क्रोध, लोभ, मोह के जो आवेग आते हैं, उनसे बचने के लिए सोचो कि ‘इन आवेगों के अनुसार कौन-सा काम करें, कौन सा न करें ?’ इसमें तुम्हारी पुण्याई चाहिए। पहले जानो। जानाति, इच्छति, करोति। जानो, फिर शास्त्र अनुरूप इच्छा करो, फिर कर्म करो। आप क्या करते हैं कि पहल कर्म करते हैं। इन्द्रियाँ …

Read More ..

हर परिस्थिति का सदुपयोग


(पूज्य बापू जी की सर्वहितकारी अमृतवाणी) आपके जीवन का मुख्य कार्य प्रभुप्राप्ति ही है। शरीर से संसार में रहो किंतु मन को हमेशा भगवान में लगाये रखो। समय बड़ा कीमती है, फालतू गप्पे मारने में अथवा व्यर्थ कि चेष्टाओं में समय बर्बाद न करके उसका सदुपयोग करना चाहिए। भगवदस्मरण, भगवदगुणगान और भगवदचिंतन में समय व्यतीत …

Read More ..

ज्ञान का अंजन मिला तो आँख खुल गयी


(पूज्य बापू जी के सत्संग प्रवचन से) संत कबीर जयंतीः 26 जून 2010 कबीर दास जी के पुत्र का नाम कमाल और पुत्री का नाम कमाली था। कमाली जब सोलह सत्रह वर्ष की थी तब की एक घटना है। कमाली सदैव प्रसन्न रहती थी। उसका स्वभाव मधुर और हिलचाल इतनी पवित्र थी कि कोई ब्राह्मण …

Read More ..