220 ऋषि प्रसादः अप्रैल 2011

सांसारिक, आध्यात्मिक उन्नति, उत्तम स्वास्थ्य, साँस्कृतिक शिक्षा, मोक्ष के सोपान – ऋषि प्रसाद। हरि ओम्।

तुम हो अपने चरित्र के विधाता !


(ब्रह्मलीन स्वामी श्री शिवानंदजी सरस्वती) यदि अपने जीवन में सफलता की कामना है, आध्यात्मिक मार्ग पर बढ़ने की अभिलाषा है और आत्मज्ञान प्राप्त करने की लगन है तो निष्कलंक चरित्र का उपार्जन करो। मनुष्य जीवन का सारांश है – चरित्र। मनुष्य का चरित्रमात्र ही सदा जीवित रहता है और मनुष्य को जीवित रखता है। मनुष्य …

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अनन्य निष्ठा का संदेश देते हैं हनुमानजी


हनुमान जयंती स्वयं प्रभु श्रीराम जिनके ऋणि बन गये, जिनके प्रेम के वशीभूत हो गये और सीताजी भी जिनसे उऋण न हो सकीं, उन अंजनिपुत्र हनुमानजी की रामभक्ति का वर्णन नहीं किया जा सकता। लंकादाह के बाद वापस आने पर उनके लिए प्रभु श्रीराम को स्वयं कहना पड़ाः “हे हनुमान ! तुमने विदेहराजनंदिनी सीता का …

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गर्मियों में स्वास्थ्य रक्षा


ग्रीष्म ऋतु में सूर्य अपनी किरणों द्वारा शरीर के द्रव तथा स्निग्ध अंश का शोषण करता है, जिससे दुर्बलता, अनुत्साह, थकान, बेचैनी आदि उपद्रव उत्पन्न होते हैं। उस समय शीघ्र बल प्राप्त करने के लिए मधुर, स्निग्ध, जलीय, शीत गुणयुक्त सुपाच्य पदार्थों की आवश्यकता होती है। इन दिनों में आहार कम लेकर बार-बार जल पीना …

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