भगवत्प्राप्त महापुरुषों की मनोहर पुष्पमालिका के दिव्य पुष्पः प्रातःस्मरणीय पूज्य संत श्री आसारामजी बापू
(अवतरण दिवसः 23 अप्रैल 2011) मानवमात्र आत्मिक शांति हेतु प्रयत्नशील है। जो मनुष्य-जीवन के परम-लक्ष्य परमात्मप्राप्ति तक पहुँच जाते हैं, वे परमात्मा में रमण करते हैं। जिनका अब कोई कर्तव्य शेष नहीं रह गया है, जिनको अपने लिए कुछ करने को बचा ही नहीं है, जिनका अस्तित्वमात्र लोक-कल्याणकारी बना हुआ है, वे संत-महापुरुष कहलाते हैं, …